Tuesday 14 September, 2010

हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा : कृष्ण कुमार यादव


हिन्दी है यह हिन्दी है
राष्ट्र-भाल की बिन्दी है
भाषाओं की जान है
भारत का अरमान है।

अमर शहीदों ने अपनाया
अंग्रेजों को मार भगाया
बापू थे इसके पैरोकार
संविधान में मिला स्थान।

हम सबकी है यह अभिलाषा
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा
आओ सब गुणगान करें
सब मिलकर सम्मान करें।




15 comments:

Amit Kumar Yadav said...

हिंदी-दिवस पर सुन्दर गीत...कृष्ण कुमार भैया जी को बधाई.

Amit Kumar Yadav said...

आज हिंदी दिवस है. अपने देश में हिंदी की क्या स्थिति है, यह किसी से छुपा नहीं है. हिंदी को लेकर तमाम कवायदें हो रही हैं, पर हिंदी के नाम पर खाना-पूर्ति ज्यादा हो रही है. जरुरत है हम हिंदी को लेकर संजीदगी से सोचें और तभी हिंदी पल्लवित-पुष्पित हो सकेगी...! ''हिंदी-दिवस'' की बधाइयाँ !!

Akshitaa (Pakhi) said...

हिंदी तो अपनी मातृभाषा है, इसलिए इसका सम्मान करना चाहिए. हिंदी दिवस पर ढेरों बधाइयाँ और प्यार !!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

हम सबकी है यह अभिलाषा
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा
आओ सब गुणगान करें
सब मिलकर सम्मान करें।
-------------------------
हिन्दी दिवस की शुभकामनायें
अच्छी प्रस्तुति

KK Yadav said...

मेरे बाल-गीत के प्रकाशन के लिए आभार...आप सभी के प्रोत्साहन के प्रति आभारी हूँ.

माधव( Madhav) said...

जय हिन्दी जय भारत

arvind said...

bahut badhiya kavita, jitani bhi prasansa ki jaaye kam hogi...ise hi kavita kahate hain.lekin sir pls dont mind बापू थे इसके पैरोकार,
संविधान में मिला स्थान। me yadi shuru ke part me baapu ne bhi diyaa samman kar de yaa our kuchh to kaisa rahega....kshama karen yadi maine kuchh galat kah diya ho.

प्रवीण पाण्डेय said...

आपको हिन्दी दिवस की शुभकामनायें

रावेंद्रकुमार रवि said...

इस पोस्ट की चर्चा यहाँ है -
रिमझिम का प्यारा दोस्त कौन है? : सरस चर्चा (13)

प्रकाश पंकज | Prakash Pankaj said...

कैसे गूंगा भारत महान जिसकी कोई राष्ट्रभाषा नहीं ?

उधार की भाषा कहना क्या? चुप रहना ही बेहतर होगा,
गूंगे रहकर जीना क्या फिर, मरना ही बेहतर होगा

मेरी दो कविताएँ हमारी मातृभाषा को समर्पित :


१. उतिष्ठ हिन्दी! उतिष्ठ भारत! उतिष्ठ भारती! पुनः उतिष्ठ विष्णुगुप्त!

http://pankaj-patra.blogspot.com/2010/09/hindi-diwas-rashtrabhasha-prakash.html


२. जो मेरी वाणी छीन रहे हैं, मार डालूं उन लुटेरों को।

http://pankaj-patra.blogspot.com/2010/09/hindi-diwas-matribhasha-rashtrabhasha.html


– प्रकाश ‘पंकज’

रानीविशाल said...

Bahut sundar geet
main nanhi blogger
अनुष्का

jai hind jai hindi

Akanksha Yadav said...

@ Ravi Ji,

चर्चा के लिए आभार.

Unknown said...

राजभाषा -मातृभाषा हिंदी के प्रति आपकी भावनाएं उत्तम हैं.

Unknown said...

लाजवाब बाल-गीत..के.के. भाई को शुभकामनायें.

Shahroz said...

हम सबकी है यह अभिलाषा
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा
आओ सब गुणगान करें
सब मिलकर सम्मान करें।

....सार्थक सन्देश देती सुन्दर कविता...मुबारकवाद.