बच्चों की ग्रोइंग एज में उन्हें राइट डाइट देना वाकई बहुत जरूरी है। लेकिन इसके लिए आप उनसे जबर्दस्ती न करें। बेहतर होगा कि आप पहले हर चीज के न्यूट्रिएंट्स के बारे में जानकर बच्चों को स्मार्ट तरीके से वे आइटम सर्व करें:
बच्चों की ग्रोइंग एज में उनके लिए न्यूट्रिशंस बहुत जरूरी हैं। लेकिन आजकल लाइफस्टाइल और फूड ऑप्शंस के चलते बच्चे जंक फूड की तरफ ज्यादा अट्रैक्ट होते हैं। न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. सुनीता दुबे कहती हैं, 'पैरंट्स को बच्चों में खाने-पीने की अच्छी आदतें डालनी चाहिए। अगर ये शुरुआत से ही इन आदतों के हिसाब से पाला जाए, तो ये पूरी जिंदगी बरकरार रहती हैं। फिर अगर बच्चों की डाइट सही हो, तो इससे बच्चों को एनर्जी मिलने के साथ ही उनका दिमाग भी बहुत शार्प होता है। यहां तक कि उनके मूड पर भी इसका पॉजिटिव असर पड़ता है।'
क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट डॉ. नूपुर कृष्णन कहती हैं, 'बच्चों को एनर्जी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि वे इस टाइम पर वे अपनी ग्रोइंग एज में होते हैं। अगर इस स्टेज पर कोई डेफिशिएंसी रह जाए, तो इससे उनकी ग्रोथ पर बहुत असर होता है।' देखा जाए, तो प्रति किलोग्राम के हिसाब से एक बच्चे को एडल्ट्स की तुलना में ज्यादा कैलरीज की जरूरत होती है। बच्चों में मेटाबॉलिज्म रेट बहुत ज्यादा होता है और एज बढ़ने के साथ धीरे-धीरे यह कम होने लगता है। फिर बड़ों की तुलना में बच्चों की फिजिकल ऐक्टिविटी ज्यादा होती है।
एक बच्चे को बड़े की तुलना में ज्यादा प्रोटीन चाहिए होता है। यह न सिर्फ टिशूज को रिपेयर करने के लिए चाहिए होता है, बल्कि प्रॉपर ग्रोथ के लिए भी इसकी जरूरत होती है। कैलरीज के कुल हिस्से में से 14 से 15 पर्सेंट तक प्रोटीन होता है। प्रोटीन का मेन सोर्स दूध और दूध से बने प्रॉडक्ट्स हैं, मसलन दही, पनीर, लस्सी, श्रीखंड वगैरह। इसके अलावा मीट, फिश, ऐग, पल्सेज वगैरह को भी बच्चों की डाइट में शामिल किया जाना चाहिए। डॉ. कृष्णन के मुताबिक, किस बच्चे को दिन में कितनी कैलरीज की जरूरत है, यह उसकी हाइट, बिल्ट, जेंडर और ऐक्टिविटी लेवल पर डिपेंड करता है। वैसे, यह काम पैरंट्स का होगा कि वह इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों को पूरी कैलरीज मिल रही हैं या नहीं।
न्यूट्रिशंस हैं जरूरी
डाइटिशियन और न्यूट्रिशनिस्ट वैशाली एम. कहती हैं, 'बच्चों के ग्रोइंग पीरियड में फिजिकल, बॉयोकेमिकल और इमोशनल डिवेलपमेंट तेजी से होता है। इस दौरान वे एडल्ट हाइट का 20 पर्सेंट और वेट का 50 पर्सेंट गेन कर लेते हैं। इस टाइम पर उनकी ग्रोथ बहुत तेजी से होती है, इसलिए उन्हें न्यूट्रिएंट्स की जरूरत भी ज्यादा होती है। इसके लिए उसकी डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें, जिनसे उसे एनर्जी, प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन्स सभी सही अमाउंट्स में मिलें।'
ये हैं फूड सोर्स
कैल्शियम- मिल्क एंड मिल्क प्रॉडक्ट, स्प्राउट्स, नचनी, बाजरा, ज्वार, ब्लैक ग्राम दाल, सीड्स, ग्राउंडनट चिक्की, आलमंड, सोयाबीन, मेथी, बीटरूट। आयरन- सोयाबीन, पालक, गोभी, रेड मीट, ब्रोकली। विटामिन सी- ब्रोकली, कैप्सिकम, गोभी, स्ट्रॉबेरी, लेमन, मस्टर्ड, टनिर्प, ग्रीन पापाया, कैबेज, पालक। विटामिन ए- डार्क ग्रीन, येलो वेजिटेबल एंड फ्रूट्स, गाजर, टमाटर, दूध, मक्खन, चीज और अंडे।
ईटिंग हैबिट्स
- जहां तक हो सके, खाना घर पर बनाने की कोशिश करें।
- बच्चों को भी इसमें इन्वॉल्व करें। बच्चों को ये सिलेक्ट करने में मजा आता है कि उन्हें लंच में क्या खाना है और डिनर में क्या खाना है। इस दौरान आप उन्हें खाने की न्यूट्रिशनल वैल्यूज के बारे में बता सकती हैं।
- आप खाने को इनाम या सजा के तौर पर यूज न करें।
- बच्चे पर प्लेट में रखा खाना पूरा खाने के लिए दबाव न डालें।
- बच्चे को खाना तभी दें, जब उसे वाकई भूख लगी हो। अगर बेवजह प्रेशर डालेंगी, तो वह खाना से मन चुराने लगेगा.
(साभार : नवभारत टाइम्स-दिल्ली , 29 दिसंबर2011)
बच्चों की ग्रोइंग एज में उनके लिए न्यूट्रिशंस बहुत जरूरी हैं। लेकिन आजकल लाइफस्टाइल और फूड ऑप्शंस के चलते बच्चे जंक फूड की तरफ ज्यादा अट्रैक्ट होते हैं। न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. सुनीता दुबे कहती हैं, 'पैरंट्स को बच्चों में खाने-पीने की अच्छी आदतें डालनी चाहिए। अगर ये शुरुआत से ही इन आदतों के हिसाब से पाला जाए, तो ये पूरी जिंदगी बरकरार रहती हैं। फिर अगर बच्चों की डाइट सही हो, तो इससे बच्चों को एनर्जी मिलने के साथ ही उनका दिमाग भी बहुत शार्प होता है। यहां तक कि उनके मूड पर भी इसका पॉजिटिव असर पड़ता है।'
क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट डॉ. नूपुर कृष्णन कहती हैं, 'बच्चों को एनर्जी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि वे इस टाइम पर वे अपनी ग्रोइंग एज में होते हैं। अगर इस स्टेज पर कोई डेफिशिएंसी रह जाए, तो इससे उनकी ग्रोथ पर बहुत असर होता है।' देखा जाए, तो प्रति किलोग्राम के हिसाब से एक बच्चे को एडल्ट्स की तुलना में ज्यादा कैलरीज की जरूरत होती है। बच्चों में मेटाबॉलिज्म रेट बहुत ज्यादा होता है और एज बढ़ने के साथ धीरे-धीरे यह कम होने लगता है। फिर बड़ों की तुलना में बच्चों की फिजिकल ऐक्टिविटी ज्यादा होती है।
एक बच्चे को बड़े की तुलना में ज्यादा प्रोटीन चाहिए होता है। यह न सिर्फ टिशूज को रिपेयर करने के लिए चाहिए होता है, बल्कि प्रॉपर ग्रोथ के लिए भी इसकी जरूरत होती है। कैलरीज के कुल हिस्से में से 14 से 15 पर्सेंट तक प्रोटीन होता है। प्रोटीन का मेन सोर्स दूध और दूध से बने प्रॉडक्ट्स हैं, मसलन दही, पनीर, लस्सी, श्रीखंड वगैरह। इसके अलावा मीट, फिश, ऐग, पल्सेज वगैरह को भी बच्चों की डाइट में शामिल किया जाना चाहिए। डॉ. कृष्णन के मुताबिक, किस बच्चे को दिन में कितनी कैलरीज की जरूरत है, यह उसकी हाइट, बिल्ट, जेंडर और ऐक्टिविटी लेवल पर डिपेंड करता है। वैसे, यह काम पैरंट्स का होगा कि वह इस बात का ध्यान रखें कि बच्चों को पूरी कैलरीज मिल रही हैं या नहीं।
न्यूट्रिशंस हैं जरूरी
डाइटिशियन और न्यूट्रिशनिस्ट वैशाली एम. कहती हैं, 'बच्चों के ग्रोइंग पीरियड में फिजिकल, बॉयोकेमिकल और इमोशनल डिवेलपमेंट तेजी से होता है। इस दौरान वे एडल्ट हाइट का 20 पर्सेंट और वेट का 50 पर्सेंट गेन कर लेते हैं। इस टाइम पर उनकी ग्रोथ बहुत तेजी से होती है, इसलिए उन्हें न्यूट्रिएंट्स की जरूरत भी ज्यादा होती है। इसके लिए उसकी डाइट में ऐसी चीजें शामिल करें, जिनसे उसे एनर्जी, प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन्स सभी सही अमाउंट्स में मिलें।'
ये हैं फूड सोर्स
कैल्शियम- मिल्क एंड मिल्क प्रॉडक्ट, स्प्राउट्स, नचनी, बाजरा, ज्वार, ब्लैक ग्राम दाल, सीड्स, ग्राउंडनट चिक्की, आलमंड, सोयाबीन, मेथी, बीटरूट। आयरन- सोयाबीन, पालक, गोभी, रेड मीट, ब्रोकली। विटामिन सी- ब्रोकली, कैप्सिकम, गोभी, स्ट्रॉबेरी, लेमन, मस्टर्ड, टनिर्प, ग्रीन पापाया, कैबेज, पालक। विटामिन ए- डार्क ग्रीन, येलो वेजिटेबल एंड फ्रूट्स, गाजर, टमाटर, दूध, मक्खन, चीज और अंडे।
ईटिंग हैबिट्स
- जहां तक हो सके, खाना घर पर बनाने की कोशिश करें।
- बच्चों को भी इसमें इन्वॉल्व करें। बच्चों को ये सिलेक्ट करने में मजा आता है कि उन्हें लंच में क्या खाना है और डिनर में क्या खाना है। इस दौरान आप उन्हें खाने की न्यूट्रिशनल वैल्यूज के बारे में बता सकती हैं।
- आप खाने को इनाम या सजा के तौर पर यूज न करें।
- बच्चे पर प्लेट में रखा खाना पूरा खाने के लिए दबाव न डालें।
- बच्चे को खाना तभी दें, जब उसे वाकई भूख लगी हो। अगर बेवजह प्रेशर डालेंगी, तो वह खाना से मन चुराने लगेगा.
(साभार : नवभारत टाइम्स-दिल्ली , 29 दिसंबर2011)