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Friday, 26 July 2013

इन्हें भी जानिए : रमेश तैलंग, वरिष्ठ बाल-साहित्यकार

रमेश तैलंग ( वरिष्ठ बाल-साहित्यकार)

जन्म की तारीख : दो जून, 1946

जन्मस्थान : टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश)



पारिवारिक परिचय:

माता: श्रीमती कौशल्या

पिता: स्व. श्री हरीकृष्ण देव

पत्नी: श्रीमती कमलेश तैलंग

पुत्री: सुश्री सुष्मिता तैलंग

पुत्र: श्री सचिन तैलंग, पुत्रवधु: डॉ. गरिमा तैलंग

पौत्री: प्लाक्षा

शिक्षा: एम.ए/परास्नातक -हिंदी साहित्य, समाज शास्त्र (जीवाजी विश्विद्यालय-ग्वालियर)

कार्मिक प्रबंध एवं औद्योगिक संवंध में पी.जी.डिप्लोमा.

भाषाज्ञान: हिंदी, अंग्रेजी.



प्रकाशित कृतियाँ :

बाल/किशोर साहित्य :

हिंदी के नए बाल गीत (देवेन्द्र कुमार तथा प्रकाश मनु के साथ)-1994; उड़न खटोले आ (बालगीत)-1994; एक चपाती तथा अन्य बाल कविताएँ-1998; कनेर के फूल(बालगीत)-1998; टिन्नीजी ओ टिन्नीजी-2005, (बालगीत); इक्यावन बालगीत-2008; लड्डू मोतीचूर के-2008 (101 नटखट बालगीत); मेरे प्रिय बाल गीत-2010, (163 बालगीत); विश्व प्रसिद्ध किशोर कथाएं (देवेन्द्र कुमार के साथ)-2009 ; अमर विश्व किशोर कथाएं (देवेन्द्र कुमार के साथ)-2009

सम्मान व पुरस्कार : एक चपाती तह अन्य बाल कविताएँ पर हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा बाल साहित्य पुरस्कार ; कनेर के फूल पर हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा बाल साहित्य पुरस्कार; हरी भरी धरती (बाल गीत संग्रह) पर प्रकाशन विभाग, नई दिल्ली (भारत सरकार) द्वारा प्रथम भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार



संपर्क का पता :

सी टॉवर, फ्लेट - एच-2/1002 क्लासिक रेजीडेंसी, राजनगर एक्सटेंशन, गाजियाबाद-201003

टेलीफोन/मोबाइल नम्बर : +91-9211688748, 09716041040

ई-मेल : rtailang@gmail.com, rameshtailang@yahoo.com

ब्लॉग :http://rameshtailang.blogspot.in/, http://nanikichiththian.blogspot.com/  

Saturday, 27 October 2012

मेरी झोली में

मेरी झोली में
सपने ही सपने भरे
ले-ले आ कर वही
जिसका भी जी करे.

एक सपना है
फूलों की बस्ती का
एक सपना है
बस मौज मस्ती का,
मुफ्त की चीज है
फिर कोई क्यों डरे?

एक सपना है
रिमझिम फुहारों का
एक सपना है
झिलमिल सितारों का
एक सपना जो
भूखे का पेट भरे.
ले-ले आ कर वही
जिसका भी जी करे.


 


Thursday, 18 October 2012

सोन मछरिया

ताल में जी ताल में
 सोनमछरिया ताल में.
मछुआरे ने मंतर फूंका
जाल गया पाताल में

थर-थर कांप ताल का पानी
फंसी जाल में मछली रानी,
तड़प-तड़प कर सोनमछरिया
मछुआरे से बोली भैया-
मुझे निकालो, मुझे निकालो,
दम घुटता है जाल में.

जाल में जी जाल में
सोनमछरिया जाल में.

मछुआरे ने सोचा पल भर,
कहा- छोड़ दूं तुझे मैं अगर,
उठ जाएगा दाना-पानी,
क्या होगा फिर मछली रानी?'
मछली बोली रोती-रोती-
'मेरे पास पड़े कुछ मोती,
जल में छोड़ो, ले आऊँगी,
सारे तुमको दे जाऊंगी.'

मछुआरे को बात जंच गई,
बस मछली की जान बच गई,
मछुआरे को मोती दे कर
जल में फुदकी जल की रानी.
सोनमछरिया-मछुआरे की
खत्म हुई इस तरह कहानी.
 
C-H2/1002 Classic Residency, Rajnagar Extension, NH-58, Ghaziabad-201003,