Saturday, 27 October 2012

मेरी झोली में

मेरी झोली में
सपने ही सपने भरे
ले-ले आ कर वही
जिसका भी जी करे.

एक सपना है
फूलों की बस्ती का
एक सपना है
बस मौज मस्ती का,
मुफ्त की चीज है
फिर कोई क्यों डरे?

एक सपना है
रिमझिम फुहारों का
एक सपना है
झिलमिल सितारों का
एक सपना जो
भूखे का पेट भरे.
ले-ले आ कर वही
जिसका भी जी करे.


 


3 comments:

Vandana Ramasingh said...

रमेश जी की कविता साझा करने के लिए शुक्रिया

प्रवीण पाण्डेय said...

सपनों में अब सब कुछ आये, जीवन में भी सब कुछ भाये।

Shahroz said...

एक सपना है
झिलमिल सितारों का
एक सपना जो
भूखे का पेट भरे.
ले-ले आ कर वही
जिसका भी जी करे.

...बहुत सुन्दर रचना. प्रकाशन पर बधाई.