प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती. यदि उचित परिवेश मिले तो बच्चे भी बड़ों जैसा कार्य कर सकते हैं. झारखण्ड में जमदेशपुर के पास मुसाबनी इलाके के नन्हें पत्रकार आजकल चर्चा में हैं. यूनिसेफ के सहयोग से चल रहे कार्यक्रम में प्रकाशित ये बच्चे किसी से पीछे नहीं हैं. वे रिपोर्टिंग करते हैं, फोटोग्राफी करते हैं और कई बार अपने कार्यों से लोगों को सचेत/सजग भी करते हैं. इनके अख़बार हैं- संथाल दर्पण, टालाडीह खबर, हालधबनी टाइम्स...और भी ढेर सारे. इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट आउटलुक पत्रिका के सितम्बर -2010 अंक में प्रकाशित हुई है. उसे यहाँ साभार स्कैन कर प्रकाशित किया जा रहा है-
(साभार : आउटलुक, सितम्बर 2010)
12 comments:
in bachhon ki mehnat aur pratibha ko salam....
गीता श्री की यह रिपोर्ट पढ़ी. वाकई सारगर्भित और बाल-मन के जज्बों को आवाज़ देती.
हमारी तरह नन्हे-मुन्ने पत्रकारों के बारे में जानकर अच्छा लगा...
बच्चों का अद्भुत प्रयास।
यूनिसेफ के सहयोग से चल रहे कार्यक्रम में प्रकाशित ये बच्चे किसी से पीछे नहीं हैं. वे रिपोर्टिंग करते हैं, फोटोग्राफी करते हैं और कई बार अपने कार्यों से लोगों को सचेत/सजग भी करते हैं..Thats great effort..congts.
बच्चों की बात ही निराली है...रोचक पोस्ट..आभार.
बच्चों की बात ही निराली है...रोचक पोस्ट..आभार.
सुन्दर पोस्ट के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ!
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आपकी पोस्ट की चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी की गई है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/10/23.html
इनके बारे में जान कर बहुत अच्छा लगा .....आभार
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
Great...!!
विजयदशमी की शुभकामनायें.
सारगर्भित
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