माँ तू आंगन मैं किलकारी,
माँ ममता की तुम फुलवारी।
सब पर छिड़के जान,
माँ तू बहुत महान।।
दुनिया का दरसन करवाया,
कैसे बात करें बतलाया।
दिया गुरु का ज्ञान,
माँ तू बहुत महान।।
मैं तेरी काया का टुकड़ा,
मुझको तेरा भाता मुखड़ा।
दिया है जीवनदान,
माँ तू बहुत महान।।
कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
तुझ पर मैं कुर्बान,
माँ तू बहुत महान।।
-दीनदयाल शर्मा,
10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जंक्शन-335512
राजस्थान, भारत
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4 comments:
bahut hi badiya rachna...
माँ पर दीनदयाल जी की सुन्दर कविता..बधाइयाँ.
माँ पर दीनदयाल जी की सुन्दर कविता..बधाइयाँ.
मन को छू गई यह कविता..शर्मा जी को साधुवाद.
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