Thursday, 15 September 2011

हिंदी है यह हिंदी है...(कृष्ण कुमार यादव)


हिन्दी है यह हिन्दी है
राष्ट्र-भाल की बिन्दी है
भाषाओं की जान है
भारत का अरमान है।

अमर शहीदों ने अपनाया
अंग्रेजों को मार भगाया
बापू थे इसके पैरोकार
संविधान में मिला स्थान।

हम सबकी है यह अभिलाषा
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा
आओ सब गुणगान करें
सब मिलकर सम्मान करें।




8 comments:

Patali-The-Village said...

हिन्दी है यह हिन्दी है
राष्ट्र-भाल की बिन्दी है
बहुत सुन्दर...

SANDEEP PANWAR said...

देश की बिन्दी, है हिन्दी।

प्रवीण पाण्डेय said...

अपनी हिन्दी

रुनझुन said...

बहुत सुन्दर रचना

Unknown said...

हम सबकी है यह अभिलाषा
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा
आओ सब गुणगान करें
सब मिलकर सम्मान करें।

हिंदी के प्रति बहुत सुन्दर भावना..कृष्ण जी को बधाई !!

Unknown said...

हम सबकी है यह अभिलाषा
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा
आओ सब गुणगान करें
सब मिलकर सम्मान करें।

हिंदी के प्रति बहुत सुन्दर भावना..कृष्ण जी को बधाई !!

रावेंद्रकुमार रवि said...

बहुत बढ़िया!

Amit Kumar Yadav said...

हिंदी तो भारत के माथे की बिंदी है..