'बाल-दुनिया' में बच्चों की बातें होंगी, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ होंगीं, उनके ब्लॉगों की बातें होगीं, बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ होंगीं और भी बहुत कुछ....
Friday 1 April, 2011
अप्रैल फूल दिवस कहाँ से आया...
अप्रैल फूल दिवस पश्चिमी देशों में हर साल पहली अप्रैल को मनाया जाता है. विकिपीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार कभी-कभी ऑल फूल्स डे के रूप में जाना जाने वाला यह दिन, 1 अप्रैल एक आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है लेकिन इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है जब एक दूसरे के साथ व्यावाहारिक मजाक और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें की जाती हैं. इस दिन दोस्तों, परिजनों, शिक्षकों, पड़ोसियों, सहकर्मियों आदि के साथ अनेक प्रकार की शरारतपूर्ण हरकतें और अन्य व्यावहारिक मजाक किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य होता है बेवकूफ और अनाड़ी लोगों को शर्मिंदा करना.
पारंपरिक तौर पर कुछ देशों जैसे न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मजाक केवल दोपहर तक ही किये जाते हैं, और अगर कोई दोपहर के बाद किसी तरह की कोशिश करता है तो उसे "अप्रैल फूल" कहा जाता है. ऐसा इसीलिये किया जाता है क्योंकि ब्रिटेन के अखबार जो अप्रैल फूल पर मुख्य पृष्ठ निकालते हैं वे ऐसा सिर्फ पहले (सुबह के) एडिशन के लिए ही करते हैं. इसके अलावा फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में जोक्स का सिलसिला दिन भर चलता रहता है. 1 अप्रैल और मूर्खता के बीच सबसे पहला दर्ज किया गया संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में पाया जाता है.
रोम, मध्य यूरोप और हिंदू समुदाय में 20 मार्च से लेकर 5 अप्रैल तक नया साल मनाया जाता है। इस दौरान बसंत ऋतु होती है। जूनियल कैलेंडर ने एक अप्रैल से नया साल माना जोकि सन् 1582 तक मनाया गया। इसके बाद पोप ग्रेगी 13वें ने ग्रेगियन कैलेंडर बनाया। इसके अनुसार एक जनवरी को नया साल घोषित किया गया। कई देशों ने सन 1660 में ग्रेगीयन कैलेंडर स्वीकार कर लिया।
जर्मनी, दनिश और नार्वे में सन् 1700 और इंग्लैंड में 1759 में एक जनवरी को नए साल के रूप में स्वीकार किया गया। फ्रांस के लोगों को लगा की साल का पहला दिन बदलकर उन्हें मूर्ख बनाया गया है और पुराने कैलेंडर के नववर्ष को उन्होंने मूर्ख दिवस घोषित कर दिया।
अप्रैल फूल दिवस की एक बानगी देखें कि जीमेल (gmail) के 1 अप्रैल को लांच होने को एक मज़ाक समझा गया था, क्योंकि गूगल पारंपरिक तौर पर हर 1 अप्रैल को अप्रैल फूल्स डे के होक्स जारी करती है, और घोषित किया गया 1 जीबी का ऑनलाइन स्टोरेज उस समय मौजूदा ऑनलाइन ईमेल सेवा के लिए बहुत ही ज्यादा था .
अब तो पूरी दुनिया में ही अप्रैल-फूल का प्रचलन बढ़ चला है, सो भारत भी अछूता नहीं. हर कोई एक दिन पहले से ही तैयारी करने लगता है कि किसे-किसे मूर्ख बनाना है, और कैसे बनाना है.
फ़िलहाल अप्रैल फूल दिवस का लुत्फ़ उठायें, पर किसी कि भावनाएं आहत करने से बचें. बकौल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र यादव इस दिन हार्ट पेशेंट का खास ख्याल रखें। उन्होंने कहा कि कई बार गंभीर मजाक से भावनाओं के उतार-चढ़ाव के कारण कोरोनरी में अवरोध पैदा होता है। यदि कोरोनरी धमनियों में पहले से ही समस्या हो तो समस्या गंभीर हो जाती है। इस स्थिति में धमनियों के अंदर की चिकनी सतह खुरदरी हो जाती है। इससे वहां पर कोलेस्ट्रॉल सरीखा तत्व जमा होने लगता है। खून जमना शुरू हो जाता है। यह हृदय के लिए बहुत घातक साबित हो सकता है।किसी का मजाक उड़ाने की बजाय मजाक-मजाक में नई सीख सिखाएं तो इस दिन का भरपूर आनंद लिया जा सकता है.
Labels:
Special day,
आकांक्षा यादव,
जानकारी,
विशेष दिवस/पर्व-त्यौहार
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
13 comments:
विशिष्ट दिवस की उम्दा जानकारी.
रोचक जानकारी...आभार.
रोचक जानकारी...आभार.
बहुत सुन्दर और रोचक जानकारी| धन्यवाद|
मोहतरमा आकांक्षा यादव जी ! आपकी पोस्ट काफी जानकारी भरी है .
vistrit jaankari di hai
quite informative post ...thanks.
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (2.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
मूर्खों का भी एक दिन हो।
विशिष्ट रोचक जानकारी
बहुत सुन्दर,धन्यवाद|
रोचक जानकारी
रोचक जानकारी....
बाल दुनिया की सैर करते समय अप्रैल फूल दिवस से मुलाक़ात हुई | उसके बारे में बहुत जानकारी मिली जो बच्चों के ज्ञान कोष के लिए काफी लाभप्रद है |
सुधा भार्गव
Post a Comment