Sunday, 3 November 2013

जगमग-जगमग करते दीपक



जगमग-जगमग करते दीपक
लगते कितने मनहर प्यारे,
मानों आज उतर आये हैं
अम्बर से धरती पर तारे !

दीपों का त्योहार मनुज के
अतंर-तम को दूर करेगा,
दीपों का त्योहार मनुज के
नयनों में फिर स्नेह भरेगा!

धन आपस में बाँट-बूट कर
एक नया नाता जोड़ेंगे,
और उमंगों की फुलझड़ियाँ
घर-घर में सुख से छोड़ेंगे !

दीपावलि का स्वागत करने
आओ हम भी दीप जलाएँ,
दीपावलि का स्वागत करने
आओ हम भी नाचे गाएँ !

-महेन्द्र भटनागर-

No comments: