'बाल-दुनिया' में बच्चों की बातें होंगी, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ होंगीं, उनके ब्लॉगों की बातें होगीं, बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ होंगीं और भी बहुत कुछ....
Wednesday 18 May, 2011
बाल श्रम : डाo एo कीर्तिवर्धन
मैं खुद प्यासा रहता हूँ पर
जन-जन कि प्यास बुझाता हूँ
बालश्रम का मतलब क्या है
समझ नहीं मैं पाता हूँ
भूखी अम्मा, भूखी दादी
भूखा मैं भी रहता हूँ
पानी बेचूं,प्यास बुझाऊं
शाम को रोटी खाता हूँ
उनसे तो मैं ही अच्छा हूँ
जो भिक्षा माँगा करते हैं
नहीं गया विद्यालय तो क्या
मेहनत कि रोटी खाता हूँ
पढ़ लिख कर बन जाऊं नेता
झूठे वादे दे लूँ धोखा
अच्छा इससे अनपढ़ रहना
मानव बनना होगा चोखा
मानवता कि राह चलूँगा
खुशियों के दीप जलाऊंगा
प्यासा खुद रह जाऊँगा,पर
जन जन कि प्यास बुझाऊंगा
--
डाo एo कीर्तिवर्धन
09911323732
http://kirtivardhan.blogspot.com/
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11 comments:
बाल-श्रम पर बहुत सुन्दर कविता..कीर्तिवर्धन जी को बधाई.
bachpan par bachpan ki taraf se sundar kavita ..keerti vardhan ji.
बाल-श्रम पर बहुत सुन्दर कविता|धन्यवाद|
बड़ा ही संवेदनशील विषय है। कहाँ एक ओर युवाओं को काम नहीं मिलता है, कहाँ बच्चे काम करते हैं?
aap sab ne apni pratikriya se mera utsah badhaya,aabhari hun.apnasneh banaye rakhen.
बहुत प्यारी रचना . बधाई . आज है मेरे बेटे सृजन का जन्म दिन ...देखें - बाल मंदिर
http://baal-mandir.blogspot.com/
बाल-श्रम पर सटीक रचना..बधाई.
बाल-श्रम पर सटीक रचना..बधाई.
आपने एकदम सटीक सही बात कही है,
पचपन मे बचपन-----
पचपन मे बचपन का ख्याल आता है,
मेरा दिल मचल मचल जाता है|
चाहता है खेलना,आँख मिचोली,
दौड़ने भागने को मन ललचाता है|
खाते थे खाना माँ के हाथ से,
चूल्हे की रोटी को मन तरसाता है|
जब चाहा सो गए ममता की छांव मे,
माँ का आँचल बहुत याद आता है|
देर रात बैठे रहते थे दादी की गोद मे,
कहानी सुनाने वाला नज़र नहीं आता है|
सारी ही बस्ती कभी अपनी हवेली थी,
बात कराने वाला आज कोई नहीं पाता है|
रिश्ते थे सबसे ताऊ,चाचा,बुआ के,
अंकल आंटी मे प्यार नहीं आता है|
लगी चोट पाँव मे खून जब बहने लगा,
दुपट्टे का फाड़ना बहन,अब मुझे भाता है|
पचपन मे बचपन का जब ख्याल आता है,
बचपन मे लौटने को दिल भरमाता है|
डॉ अ कीर्तिवर्धन
9911323732
bachpan...kuchh ese pal jinhe bayan ni kiya ja skta...pr fir v itni khubsurti se in palo ko apne apni kavita m piroya k barbas hi aankh bhar ayi...
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