Friday, 6 August 2010

दिल्ली में छठी कक्षा के बच्चे ने लिखी कुत्ते पर किताब

सुनने में आश्चर्य लगता है, पर दिल्ली के माउंट सेंट मेरी स्कूल के कक्षा छह के छात्र 11 वर्षीय ध्रुव ने अपने तीन साल के पालतू कुत्ते की दिनचर्या को लेकर उसकी आत्मकथा ही लिख डाली। ‘ऐज क्यूट ऐज पग’ नाम की इस किताब का लोकार्पण जाने माने पर्यावरणविद् और फिल्म निर्माता माइक पांडे ने किया। ध्रुव ने अपनी इस पुस्तक में एक कुत्ते की दृष्टि से दुनिया को देखने और समझने की कोशिश की . दिल्ली के माउंट सेंट मेरी स्कूल के कक्षा छह के छात्र ध्रुव का कहना है कि सबसे पहले गर्मी की छुट्टियों के दौरान स्कूल में मिले कहानी लेखन को लेकर उसके मन में कुत्ते की ओर से कुछ लिखने की बात दिमाग मेंआई कि आखिर एक कुत्ता हमारे बीच रहते हुए क्या सोचता होगा। ? कुत्ते की यह आत्मकथा हल्की-फुल्की कहानी के शक्ल में है, जिसमें भरपूर कॉमेडी है। मुख्य पात्र टप्पी है जिसका सपना है कि वह इंसानों जैसा दिखे। इसी सपने को साकार करने के लिए वह कई बार इंसानों जैसी हरकतें करता है। इन सभी मजेदार हिस्सों को ध्रुव ने अपनी नन्हीं कल्पनाओं के आधार पर बड़े ही मजेदार तरीके से व्यक्त किया है।.वाकई यह दर्शाता है कि बच्चे कितने रचनात्मक होते हैं. अपने परिवेश में हो रही घटनाओं से वे ना-वाकिफ नहीं हैं और यहीं से उनकी रचनात्मकता को पंख भी लग जाते हैं...!!

17 comments:

संगीता पुरी said...

गजब !!

deepakshukla said...

aschara janak....................

deepdadabhai said...

surprised........................

honesty project democracy said...

इसका दूसरा पहलु यह भी है की हमारे बच्चे अंग्रेजों और उपभोक्तावादी कल्चर में इंसान की जगह कुत्तों को तरजीह देने लगे हैं और इससे हमारा सामाजिक परिवेश इतना बदल गया है की कोई इंसान मर रहा होता है तो उसे देखने वाला कोई नहीं होता है लेकिन किसी के कुत्ते की मौत हो जाती है तो लोग उसके घर सम्बेदना प्रगट करने जाते हैं ,ऐसी हो गयी है हमारी इंसानी सम्बेदना ...?

दीनदयाल शर्मा said...

बच्चे ने लिखी कुत्ते पर किताब...यह किताब कहाँ उपलब्ध हो सकती है..कृपया ध्यान में हो तो बताएं..मैं इस किताब को पढ़ना चाहता हूँ.. deen.taabar@gmail.com

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत अच्छी जानकारी....

मनोज कुमार said...

रोचक जानकारी।

Arvind Mishra said...

अच्छा बेटा ,अच्छा कुत्ता !

Bhanwar Singh said...

बाल-मन आधारित इस ब्लॉग पर नित अनुपम प्रस्तुति..आकांक्षा जी को साधुवाद.

Bhanwar Singh said...

बाल-मन की सुकोमल रचनात्मकता...बधाई.

KK Yadav said...

सुनकर अजीब लगा, पर कमाल हो गया ये तो...

KK Yadav said...

@ दीनदयाल जी,

मैं भी तलाश में हूँ...

राम त्यागी said...

चलो अच्छा ..नौकरी नहीं करेगा अब हमारी तरह ...ऐसे ही शिक्षा की जरूरत है !!

S R Bharti said...

हैरतअंगेज पर सच....इस दिलचस्प जानकारी हेतु आभार.

Shahroz said...

Where will we get this book/

Ashish (Ashu) said...

सच कहा आपने बच्चे कितने रचनात्मक होते हैं पर इस सफलता मे माता पिता का सहयोग भी जरूरी होता हॆ...

संजय भास्‍कर said...

बाल-मन आधारित इस ब्लॉग पर नित अनुपम प्रस्तुति..आकांक्षा जी को साधुवाद.