सुनने में आश्चर्य लगता है, पर दिल्ली के माउंट सेंट मेरी स्कूल के कक्षा छह के छात्र 11 वर्षीय ध्रुव ने अपने तीन साल के पालतू कुत्ते की दिनचर्या को लेकर उसकी आत्मकथा ही लिख डाली। ‘ऐज क्यूट ऐज पग’ नाम की इस किताब का लोकार्पण जाने माने पर्यावरणविद् और फिल्म निर्माता माइक पांडे ने किया। ध्रुव ने अपनी इस पुस्तक में एक कुत्ते की दृष्टि से दुनिया को देखने और समझने की कोशिश की . दिल्ली के माउंट सेंट मेरी स्कूल के कक्षा छह के छात्र ध्रुव का कहना है कि सबसे पहले गर्मी की छुट्टियों के दौरान स्कूल में मिले कहानी लेखन को लेकर उसके मन में कुत्ते की ओर से कुछ लिखने की बात दिमाग मेंआई कि आखिर एक कुत्ता हमारे बीच रहते हुए क्या सोचता होगा। ? कुत्ते की यह आत्मकथा हल्की-फुल्की कहानी के शक्ल में है, जिसमें भरपूर कॉमेडी है। मुख्य पात्र टप्पी है जिसका सपना है कि वह इंसानों जैसा दिखे। इसी सपने को साकार करने के लिए वह कई बार इंसानों जैसी हरकतें करता है। इन सभी मजेदार हिस्सों को ध्रुव ने अपनी नन्हीं कल्पनाओं के आधार पर बड़े ही मजेदार तरीके से व्यक्त किया है।.वाकई यह दर्शाता है कि बच्चे कितने रचनात्मक होते हैं. अपने परिवेश में हो रही घटनाओं से वे ना-वाकिफ नहीं हैं और यहीं से उनकी रचनात्मकता को पंख भी लग जाते हैं...!!
17 comments:
गजब !!
aschara janak....................
surprised........................
इसका दूसरा पहलु यह भी है की हमारे बच्चे अंग्रेजों और उपभोक्तावादी कल्चर में इंसान की जगह कुत्तों को तरजीह देने लगे हैं और इससे हमारा सामाजिक परिवेश इतना बदल गया है की कोई इंसान मर रहा होता है तो उसे देखने वाला कोई नहीं होता है लेकिन किसी के कुत्ते की मौत हो जाती है तो लोग उसके घर सम्बेदना प्रगट करने जाते हैं ,ऐसी हो गयी है हमारी इंसानी सम्बेदना ...?
बच्चे ने लिखी कुत्ते पर किताब...यह किताब कहाँ उपलब्ध हो सकती है..कृपया ध्यान में हो तो बताएं..मैं इस किताब को पढ़ना चाहता हूँ.. deen.taabar@gmail.com
बहुत अच्छी जानकारी....
रोचक जानकारी।
अच्छा बेटा ,अच्छा कुत्ता !
बाल-मन आधारित इस ब्लॉग पर नित अनुपम प्रस्तुति..आकांक्षा जी को साधुवाद.
बाल-मन की सुकोमल रचनात्मकता...बधाई.
सुनकर अजीब लगा, पर कमाल हो गया ये तो...
@ दीनदयाल जी,
मैं भी तलाश में हूँ...
चलो अच्छा ..नौकरी नहीं करेगा अब हमारी तरह ...ऐसे ही शिक्षा की जरूरत है !!
हैरतअंगेज पर सच....इस दिलचस्प जानकारी हेतु आभार.
Where will we get this book/
सच कहा आपने बच्चे कितने रचनात्मक होते हैं पर इस सफलता मे माता पिता का सहयोग भी जरूरी होता हॆ...
बाल-मन आधारित इस ब्लॉग पर नित अनुपम प्रस्तुति..आकांक्षा जी को साधुवाद.
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