Sunday 22 January, 2012

बहादुर बच्चों के जज्बे को सलाम..!!

कहते हैं हौसले हों तो आकाश भी छू लेता है मनुष्य. फिर बच्चे तो इस देश के भविष्य हैं. उनका जज्बा हमें प्रेरणा देता है. ऐसे ही 24 बच्चों को इस साल राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है. देश के 24 बहादुर बच्चों में शामिल इन नौनिहालों ने अपनी छोटी सी उम्र में जिस साहस का परिचय दिया है, वह वाकई हैरत में डालने वाला और सराहनीय है। पुरस्कार पाने वाले बच्चों में 08 लड़कियां और 16 लड़के हैं। इनमें से पांच बच्चों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह गणतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर इन बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। ये बहादुर बच्चों राजधानी के ऐतिहासिक राजपथ पर होने वाले गणतंत्र दिवस परेड में भी भाग लेंगे।

इस श्रेणी में बहादुरी का सर्वश्रेष्ठ ‘भारत पुरस्कार’ उत्तराखण्ड के 15 वर्षीय कपिल नेगी को मरणोपरांत दिया जाएगा। कपिल ने बाढ़ में फंसे अपने साथियों को निकालने में मदद की लेकिन इस प्रयास में कपिल की जान चली गई। पुत्र के खोने से भावुक हुईं कपिल की माता अनीता नेगी ने कहा, "वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहता था। हमें अपने पुत्र पर गर्व है लेकिन वह इस दुनिया में नहीं है।"


प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार गुजरात की 13 वर्षीया मित्तल महेन्द्रभाई पताडिया को दिया जाएगा। जिसने अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए हथियारबंद अपराधियों का सामना किया था और डकैती के प्रयास को विफल कर दिया था।

संजय चोपडा पुरस्कार के लिए उत्तर प्रदेश के 12वर्षीय ओम प्रकाश यादव को चयनित किया गया है। ओम प्रकाश ने अत्यंत साहस का परिचय देते हुए जलती हुई वैन से अपने आठ स्कूली साथियों की जान बचाई थी और ऐसा करने के दौरान वह 70 प्रतिशत तक जल गए थे। ओम प्रकाश यादव ने कहा, "मैं काफी गर्व का अनुभव करता हूं क्योंकि मैंने अपने स्कूल के साथियों का जीवन बचाया। मैं प्रधानमंत्री के हाथों राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने को लेकर काफी खुश हूं। मेरा संदेश है कि लोगों को एक-दूसरे की सहायता करनी चाहिए।"

अरुणाचल प्रदेश के 14 वर्षीय मास्टर आदित्य गोपाल (मरणोपरांत) दिल्ली के 14 वर्षीय मास्टर उमा शंकर और छत्तीसगढ़ की 15 वर्षीया अंजलि सिंह गौतम को बापू ग्यैधानी पुरस्कार के लिए चुना गया है। आदित्य गोपाल ने पानी में डूब रहे एक मित्र को बचाने के प्रयास में अपनी जान गंवा दी थी। मास्टर उमा शंकर ने बस दुर्घटना में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जबकि अंजलि ने अपने छोटे भाई को नक्सवादी हमले से बचाया था।

पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों इस प्रकार हैं। मास्टर वाई अमर उदय किरण और मास्टर एस शिव प्रसाद (आंध्र प्रदेश), मास्टर रंजन प्रधान और कुमारी शीतल साध्वी सलुजा- (छत्तीसगढ़), कुमारी दिव्याबेन मनसंगभाई चौहान (गुजरात) मास्टर संदेश पी हेगडे और कुमारी सिंधुश्री बी.ए (कर्नाटक) मास्टर मोहम्मद निशाद वी पी. मास्टर अंसिफ सी के और मास्टर सहसाद के (केरल) मास्टर जॉनसन तुरंगबम एवं मास्टर क्षेत्रिमयम राकेश सिंह (मणिपुर) मास्टर सी ललदुहौमा "मरणोपरांत" (मिजोरम) कुमारी प्रशांत शांडिल्य (ओडीशा) मास्टर डुंगर सिंह (राजस्थान) मास्टर जी परमेश्वरन (तमिलनाडु) कुमारी लवली वर्मा "मरणोपरांत" उत्तर प्रदेश और कुमारी सौधिता बर्मन "मरणोपरांत" पश्चिम बंगाल।

उल्लेखनीय है कि वीरता पुरस्कार के लिए इन बहादुर बच्चों का चयन कई मंत्रालयों, गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिनिधियों और आईसीसीडबल्यू के सदस्यों ने किया है। गणतंत्र दिवस से पहले प्रधानमंत्री इन बहादुर बच्चों को रजत पदक, प्रमाणपत्र और नकद राशि देकर सम्मानित करेंगे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले साल पुरस्कार राशि को बढ़ाने का वादा किया था और इस वर्ष दी जाने वाली राशि में तीन गुने की वृद्धि हुई है। अब तक राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले बच्चों को सात से 10 हजार रुपये का नकद इनाम दिया जाता था लेकिन इस साल भारत अवार्ड के तहत पचास हजार, गीता चोपड़ा और संजय चोपड़ा अवार्ड के तहत चालीस हजार रूपये और बापू गैधानी अवार्ड के तहत बीस हजार रूपये प्रदान किये जायेंगें

पुरस्कार प्राप्त बच्चे गणतंत्र दिवस की परेड में भी हिस्सा लेंगे। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील पुरस्कार विजेता बच्चों के सम्मान में एक समारोह का आयोजन करेंगी।

--बाल दुनिया