माँ, मैं भी मोबाइल लूँगा,
अच्छी-अच्छी बात करूँगा।
हर मौके पर काम यह आता,
संकट में साथी बन जाता।
होम-वर्क पर ध्यान मैं दूँगा,
पढऩे में पीछे न रहूँगा।
मेरी ख़बर चाहे कभी भी लेना,
एस० एम० एस० झट से कर देना।
स्कूल समय में रखूँगा बंद,
सदा रहूँगा मैं पाबंद।
कहाँ मैं आता कहाँ मैं जाता,
चिंता से तुझे मुक्ति दिलाता।
माँ धर तू मेरी बात पे ध्यान,
अब मोबाइल समय की शान।
8 comments:
खूबसूरत प्रस्तुति
माँ धर तू मेरी बात पे ध्यान,
अब मोबाइल समय की शान।
...वक़्त से पहले बड़े होते बच्चे...शानदार बाल-कविता. दीनदयाल जी को बधाई.
सुन्दर
बाल - दुनिया में मेरी कविता 'मोबाइल' देख कर बहुत ही अच्छा लगा..आकांक्षा जी को बधाई और मेरी कविता पसंद करने वालों का धन्यवाद...
उपदेश के नाम पर एक अच्छी कविता!
यह तो बहुत बढ़िया है. अब मुझे भी मोबाईल चाहिए....
कहाँ मैं आता कहाँ मैं जाता,
चिंता से तुझे मुक्ति दिलाता।
माँ धर तू मेरी बात पे ध्यान,
अब मोबाइल समय की शान।
...Bahut badhiya..badhai.
कहाँ मैं आता कहाँ मैं जाता,
चिंता से तुझे मुक्ति दिलाता।
माँ धर तू मेरी बात पे ध्यान,
अब मोबाइल समय की शान।
...Bahut badhiya..badhai.
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