
सच यह है कि किसी को (और खासकर स्कूल में बच्चों को) पीटकर हम अपने शिक्षा की कमी को ही जाहिर करते हैं। यदि हम ऐसी दुनिया चाहते हैं जहां शांति हो, जहां सड़कों पर दंगे न हों और जहां लोग सहिष्णु हों और एक-दूसरे से प्यार करें, तो हमें अपने बच्चों को स्कूल के शुरुआती जीवन से ही शांति, प्यार और सहिष्णुता के दर्शन कराने चाहिए।
एक टीचर के तौर पर अपने सोलह साल के अनुभव के बाद मैं पूरे भरोसे के साथ यह कह सकता हूं कि ऐसा कोई कारण नहीं होता जिसके लिए किसी टीचर के लिए छात्र को क्लासरूम में या दूसरों के सामने मारना जरूरी हो जाए। यदि कोई शिक्षक अच्छा है और शिक्षण के प्रति समर्पित है, तो उसे पढ़ाने की प्रक्रिया में इतना आनंद आता है कि छात्रों के लिए भी यह मनोरंजक प्रक्रिया बन जाती है।
आईआईपीएम में जब कोई टीचर आकर यह शिकायत करता है कि छात्रों का फलां समूह अनियंत्रित और खराब है तो मैं उस टीचर को बदल देता हूं, क्योंकि मुझे पक्का यकीन है कि कोई भी छात्र खराब नहीं होता। यह टीचर ही हैं जो खराब या उबाऊ होते हैं जिनकी दूसरों की जिंदगी बदलने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं होती।
अच्छे शिक्षक को कभी छात्रों के साथ समस्या नहीं होती। खराब शिक्षकों को ही होती है और वे इसके समाधान के लिए शारीरिक दंड का शॉर्टकट तरीका अपनाते हैं। शारीरिक दंड बचपन में कभी कारगर नहीं होता। इससे मुख्यत: दो तरह के इंसान बनते हैं।
एक तो वे जो इसके आदी होते हैं और इसकी परवाह नहीं करते हुए ज्यादा अड़ियल हो जाते हैं। दूसरे वे जिनका व्यक्तित्व सजा के भय से बिगड़ जाता है। ऐसे छात्र भले ही ज्यादा आज्ञाकारी हो जाएं लेकिन उनका व्यक्तित्व हमेशा के लिए खराब हो जाता है।
हमें ऐसे कानून की जरूरत है जो स्कूलों में शारीरिक दंड की प्रक्रिया को पूरी तरह रोक दे। स्कूल का काम बच्चों की जिंदगी संवारना है, बर्बाद करना नहीं। हां, स्कूल में कुछ ऐसे बच्चे भी आते हैं, जिन्हें घर में मारा-पीटा जाता है और उनका बर्ताव कई बार बहुत नकारात्मक होता है।
टीचर में यह क्षमता होनी चाहिए वह उनके बर्ताव को बदल सके। हां, यदि टीचर छात्रों को बदलने के लिहाज से समुचित रूप से प्रशिक्षित न हो और बच्च बहुत उद्दंड और बिगड़ैल हो तो टीचर ज्यादा से ज्यादा यही करे कि उस बच्चे को उसके माता-पिता या कानून अनुपालकों को सौंप दे। लेकिन टीचर खुद पुलिस नहीं है और उसे बच्चों को शारीरिक रूप से दंडित करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। अभिभावक भी बच्चों की स्कूल में पिटाई को रोकें।
अच्छा टीचर वही है जो मानता हो कि उसका काम शिक्षा के जरिए बच्चों को बेहतर इंसान बनाना है। वह मानता हो कि उसका काम बच्चों को यह भरोसा दिलाना है कि वे क्लास के अंदर जो भी सीखेंगे, उससे उनका जीवन बदलेगा और वे बेहतर इंसान बनेंगे।
- लेखक शिक्षाविद व आईआईपीएम के प्रमुख हैं।