बच्चे हिन्दुस्तान के
चलते सीना तान के
तानसेन की तरह गा रहे
नया तराना शान से।
हम किरणों जैसा चमकाते
कण कण के इतिहास को
हम विलास को छोड़ मोड़ते
वैभवपूर्ण विलास को।
हमने अपने रथ के घोड़े
रक्खे हरदम तान के
भाग्य बनाते अपने सबके
बंजर रेगिस्तान के।
बच्चे हिन्दुस्तान के...।।
शीत चाँदनी जैसे हम हैं
पूरनमासी लक्ष है
नहीं अमावस्या में अटके
मंजिल दूर समक्ष है।
गीता गायन करते रहते
कर्म प्रमुखता मान के।
बच्चे हिन्दुस्तान के ..।।
-डा० राष्ट्रबंधु
13 comments:
नाम बड़ा करने आये हैं,
बच्चे हिन्दुस्तान के।
बहुत खूबसूरत और प्रेरणादायक रचना
डॉ.राष्ट्रबंधु की रचना पढ़वाने का आभार. बहुत अच्छा लगा.
डॉ. राष्ट्रबऩ्धु तो हमारे मित्र ही हैं!
उनकी रचना पढकर अछ्छा लगा!
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आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है-
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/07/7.html
बहुत अच्छी बाल-कविता है .
Its Beautiful...Encouraging.
बहुत अच्छी बाल-कविता है .
बहुत सुन्दर..
राष्ट्रबंधु जी की हर कविता मजेदार और सन्देश भी देती है..
गीता गायन करते रहते
कर्म प्रमुखता मान के।
बच्चे हिन्दुस्तान के ..।।
बच्चे हिन्दुस्तान के
चलते सीना तान के
तानसेन की तरह गा रहे
नया तराना शान से।
...Majedar.
पढ़कर तो हम भी सीना तान लिए....लाजवाब प्रस्तुति. राष्ट्रबंधु जी और आकांक्षा जी को बधाई.
बच्चे हिन्दुस्तान के
चलते सीना तान के
तानसेन की तरह गा रहे
नया तराना शान से.....डॉ.राष्ट्रबन्धु जी हमारे बड़े भाई की मानिंद हैं...इनकी रचना ब्लॉग पर पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा..हार्दिक बधाई...
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