Tuesday, 20 July 2010

बच्चे हिन्दुस्तान के : डा0 राष्ट्रबंधु


बच्चे हिन्दुस्तान के
चलते सीना तान के
तानसेन की तरह गा रहे
नया तराना शान से।

हम किरणों जैसा चमकाते
कण कण के इतिहास को
हम विलास को छोड़ मोड़ते
वैभवपूर्ण विलास को।
हमने अपने रथ के घोड़े
रक्खे हरदम तान के
भाग्य बनाते अपने सबके
बंजर रेगिस्तान के।
बच्चे हिन्दुस्तान के...।।

शीत चाँदनी जैसे हम हैं
पूरनमासी लक्ष है
नहीं अमावस्या में अटके
मंजिल दूर समक्ष है।
गीता गायन करते रहते
कर्म प्रमुखता मान के।
बच्चे हिन्दुस्तान के ..।।

-डा० राष्ट्रबंधु

13 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

नाम बड़ा करने आये हैं,
बच्चे हिन्दुस्तान के।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत और प्रेरणादायक रचना

Udan Tashtari said...

डॉ.राष्ट्रबंधु की रचना पढ़वाने का आभार. बहुत अच्छा लगा.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

डॉ. राष्ट्रबऩ्धु तो हमारे मित्र ही हैं!
उनकी रचना पढकर अछ्छा लगा!
--
आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है-
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/07/7.html

Alpana Verma said...

बहुत अच्छी बाल-कविता है .

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

Its Beautiful...Encouraging.

Alpana Verma said...

बहुत अच्छी बाल-कविता है .

रंजन (Ranjan) said...

बहुत सुन्दर..

KK Yadav said...

राष्ट्रबंधु जी की हर कविता मजेदार और सन्देश भी देती है..

Akanksha Yadav said...

गीता गायन करते रहते
कर्म प्रमुखता मान के।
बच्चे हिन्दुस्तान के ..।।

Shahroz said...

बच्चे हिन्दुस्तान के
चलते सीना तान के
तानसेन की तरह गा रहे
नया तराना शान से।
...Majedar.

Unknown said...

पढ़कर तो हम भी सीना तान लिए....लाजवाब प्रस्तुति. राष्ट्रबंधु जी और आकांक्षा जी को बधाई.

दीनदयाल शर्मा said...

बच्चे हिन्दुस्तान के
चलते सीना तान के
तानसेन की तरह गा रहे
नया तराना शान से.....डॉ.राष्ट्रबन्धु जी हमारे बड़े भाई की मानिंद हैं...इनकी रचना ब्लॉग पर पढ़ कर बहुत ही अच्छा लगा..हार्दिक बधाई...