Monday, 18 July 2011

उल्लू : दीनदयाल शर्मा


उल्लू होता सबसे न्यारा,
दिखे इसे चाहे अँधियारा ।
लक्ष्मी का वाहन कहलाए,
तीन लोक की सैर कराए ।

हलधर का यह साथ निभाता,
चूहों को यह चट कर जाता ।
पुतली को ज्यादा फैलाए,
दूर-दूर इसको दिख जाए ।

पीछे भी यह देखे पूरा,
इसको पकड़ न पाए जमूरा ।
जग में सभी जगह मिल जाता,
गिनती में यह घटता जाता ।

ज्ञानीजन सारे परेशान,
कहाँ गए उल्लू नादान।।

संपर्क: 10/22, आर.एच.बी. कॉलोनी, हनुमानगढ़ जं., पिन कोड- 335512, राजस्थान,

मोबाइल - 09414514666

8 comments:

KK Yadav said...

उल्लू होता सबसे न्यारा,
दिखे इसे चाहे अँधियारा ।
लक्ष्मी का वाहन कहलाए,
तीन लोक की सैर कराए ।

..Bahut sundar. Dindayal ji ko badhai.

प्रवीण पाण्डेय said...

लक्ष्मीजी को लेकर चले गये।

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर बाल कविता..

दीनदयाल शर्मा said...

मेरी कविता आपके ब्लॉग पर लगाने के लिए आपका आभार..और जिन्हें ये कविता पसंद आ रही है ...उनका भी दिल से आभार..और धन्यवाद..
www.deendayalsharma.blogspot.com

Akshitaa (Pakhi) said...

वाह, कित्ता सुन्दर गीत..बधाई.

Akanksha Yadav said...

शर्मा जी तो बच्चों के लिए खूब लिखते हैं..बधाई.

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

आदरणीय दीन दयाल शर्मा जी अभिवादन -सुन्दर और प्यारी रचना - उल्लू महाराज सुन्दर -अच्छी जानकारी - सुख दायक -
आभार
शुक्ल भ्रमर ५

हलधर का यह साथ निभाता,
चूहों को यह चट कर जाता ।
पुतली को ज्यादा फैलाए,
दूर-दूर इसको दिख जाए

सुधाकल्प said...

उल्लू की गाथा अच्छी लगी .|
सुधा भार्गव