आज मातृ दिवस है। माँ पर जितना लिखा जाए, कम ही है. माँ वो शब्द है जिसमें सारी कायनात छुपी हुई है. इस सृष्टि का आधार है माँ. नारी का व्यक्तित्व भी ममता के बिना अधूरा है. माँ के भी कई रूप हैं.
डॉ. मीना अग्रवाल जी की इस कविता पर गौर कीजिये-
माँ तो है संगीत रूप
माँ गीत रूप, माँ नृत्य रूप
माँ भक्ति रूप, माँ शक्ति रूप
माँ की वाणी है मधु स्वरूप
गति है माँ की ताल रूप
सब कर्म बने थिरकन स्वरूप
व्यक्तित्व बना माँ का अनूप
श्रद्धा की है वह प्रतिरूप
माँ के हैं अनगिनत रूप !!
10 comments:
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दुनिया के सभी बच्चे हमेशा ख़ुश रहें!
प्यारी माँ की गोद में!
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सच है, माँ बस माँ है।
बहुत सुन्दर रचना!
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मातृदिवस की शुभकामनाएँ!
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बहुत चाव से दूध पिलाती,
बिन मेरे वो रह नहीं पाती,
सीधी सच्ची मेरी माता,
सबसे अच्छी मेरी माता,
ममता से वो मुझे बुलाती,
करती सबसे न्यारी बातें।
खुश होकर करती है अम्मा,
मुझसे कितनी सारी बातें।।
"नन्हें सुमन"
बहुत सुन्दर रचना|मातृदिवस की शुभकामनाएँ|
उस मां को नमन,जिसकी नहीं कोई उपमा.
हृदय स्पर्शी..
मातृदिवस की शुभकामनाएँ..
माँ इस दुनिया में सबसे अनमोल रत्न होती है. कहते हैं ईश्वर ने अपनी प्रतिमूर्ति के रूप में माँ को इस धरती पर भेजा है. आइये हम सभी माँ का सम्मान करना सीखें.
मातृ दिवस पर सुन्दर प्रस्तुति...मीना अग्रवाल जी को इस सुन्दर रचना के लिए बधाई.
माँ के बिना जग ये सूना...सुन्दर प्रस्तुति..साधुवाद. मातृदिवस की शुभकामनाएँ.
आकांक्षा जी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति-बधाई हो
माँ पर तो महा काव्य लिखिए
तो भी कम है -
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