उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद का एक 12 साल का एक किशोर एक ऐसा अखबार निकाल रहा है, जिसके संपादक से लेकर संवाददाता, प्रकाशक और हॉकर का काम भी वही कर रहा है। इलाहाबाद के चांदपुर सलोरी इलाके की काटजू कालोनी में रहने वाला उत्कर्ष त्रिपाठी पिछले एक साल से हाथ से लिखकर 'जागृति' नामक चार पृष्ठों का एक सप्ताहिक अखबार प्रकाशत कर रहा है। उत्कर्ष ब्रज बिहारी इंटर कालेज में आठवीं कक्षा का छात्र है।
उत्कर्ष को अपने इस सप्ताहिक अखबार के लिए एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ता। उत्कर्ष सबसे पहले हाथ से पाठ्य सामग्री को लिखकर अखबार के चार पन्ने तैयार करता है और बाद में उसकी फोटो कापी करवाकर उसकी प्रतियाँ अपने पाठकों तक पहुँचा देता है। वर्तमान समय में जागृति के विभिन्न आयु वर्ग के करीब 150 पाठक हैं।
उत्कर्ष ने बताया कि जागृति के पाठकों में मेरे स्कूल से सहपाठी, वरिष्ठ छात्र, शक्षिक और पड़ोसी शामिल हैं। उत्कर्ष ने अपने अखबार का नाम 'जागृति' इसलिए रखा, क्योंकि उसका मिशन लोगों को उनके हितों के प्रति जागरूक करना है, जो उन्हें प्रभावित करते हैं।
वह अखबार के संपादकीय पन्ने पर भ्रूणहत्या, पर्यावरण जैसे सामाजिक मुद्दों को नियमित उठाने का प्रयास करता है। इसके अलावा अखबार में जनकल्याणकारी योजनाओं एवं बच्चों के कल्याण के लिए सरकारी नीतियों के बारे में जानकारी दी जाती है। इसमें प्रेरणात्मक लेख होने के साथ प्रसिद्ध वैज्ञानिकों, कलाकारों, राजनेताओं की सफलता की कहानियाँ भी होती हैं।
उत्कर्ष के मुताबिक वह हर रोज एक घंटा अखबार के लिए समय निकालता है, जिसमें मुद्दों को ढूंढ़ना और तय करना, दैनिक अखबारों, सप्ताहिक पत्रिकाओं और इंटरनेट से ज्ञानवर्धक सूचनाएं एकत्र करता है। रविवार के दिन उसे अखबार के लिए ज्यादा समय मिल जाता है। उस दिन वह विभिन्न लेखों के लिए तस्वीरें एकत्र करता है।
साभार : हिंदी मीडिया. इन
उत्कर्ष को अपने इस सप्ताहिक अखबार के लिए एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ता। उत्कर्ष सबसे पहले हाथ से पाठ्य सामग्री को लिखकर अखबार के चार पन्ने तैयार करता है और बाद में उसकी फोटो कापी करवाकर उसकी प्रतियाँ अपने पाठकों तक पहुँचा देता है। वर्तमान समय में जागृति के विभिन्न आयु वर्ग के करीब 150 पाठक हैं।
उत्कर्ष ने बताया कि जागृति के पाठकों में मेरे स्कूल से सहपाठी, वरिष्ठ छात्र, शक्षिक और पड़ोसी शामिल हैं। उत्कर्ष ने अपने अखबार का नाम 'जागृति' इसलिए रखा, क्योंकि उसका मिशन लोगों को उनके हितों के प्रति जागरूक करना है, जो उन्हें प्रभावित करते हैं।
वह अखबार के संपादकीय पन्ने पर भ्रूणहत्या, पर्यावरण जैसे सामाजिक मुद्दों को नियमित उठाने का प्रयास करता है। इसके अलावा अखबार में जनकल्याणकारी योजनाओं एवं बच्चों के कल्याण के लिए सरकारी नीतियों के बारे में जानकारी दी जाती है। इसमें प्रेरणात्मक लेख होने के साथ प्रसिद्ध वैज्ञानिकों, कलाकारों, राजनेताओं की सफलता की कहानियाँ भी होती हैं।
उत्कर्ष के मुताबिक वह हर रोज एक घंटा अखबार के लिए समय निकालता है, जिसमें मुद्दों को ढूंढ़ना और तय करना, दैनिक अखबारों, सप्ताहिक पत्रिकाओं और इंटरनेट से ज्ञानवर्धक सूचनाएं एकत्र करता है। रविवार के दिन उसे अखबार के लिए ज्यादा समय मिल जाता है। उस दिन वह विभिन्न लेखों के लिए तस्वीरें एकत्र करता है।
साभार : हिंदी मीडिया. इन
8 comments:
आसानी से विश्वास नहीं होता.
बालमन की ऊँची उड़ान।
..फिर तो मुझे भी इनसे मिलना है.
अपने विचारों को औरों तक पहुँचाने की यह लगन ही समाज को जोड़ने की इकाई है।
उसे मेरा सलाम
प्रेरक पोस्ट.
हम तो इलाहाबाद में ही हैं. कभी इन साहब से मुलाकात भी करते हैं.
उत्कर्ष त्रिपाठी का उत्कृष्ट कार्य बहत ही प्रेरणास्पद है जानकारी के लिये धन्यवाद।
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