Wednesday, 12 January 2011

हम बच्चे प्यारे हैं - डा0 राष्ट्रबंधु

आकाश हमारा है, हमसे उजियारे हैं
तारों जैसे चमचम, आँखों के तारे हैं
हम बच्चे प्यारे हैं।

सौतेले रिस्तों को ध्रुव ने जितना जाना
प्रहलाद पिता पीड़ित ने भोगा जुरमाना
हम वंचित सारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।

लवकुश सीता माँ के, गायक बंजारे हैं
तुलसी के चौरे के, हम दीपक न्यारे हैं
हम भाग्य तुम्हारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।

दुनिया छोटी लगती, दुनियादारी ठगती
एकलव्य हमारा है, संतोष सहारा है
कर्तव्य हमारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।

अधिकार तुम्हारे हैं, तानों के मारे हैं
बरगद की छाया में, अपनों से हारे हैं
हम स्वयं सहारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।

हम अपना श्रम देकर, सभ्यता सँवारे हैं

सबकी नजरों से हम गए उतारे हैं
मुस्कान सँवारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।

हम वोट नहीं देते, हम नोट नहीं लेते
बटते कब पक्षों में, यक्षों या कक्षा में
आवरण उघारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।

बनकर जुलूस लम्बा, छोटापन धारे हैं
जो जीत चुनाव गए, हम उनके मारे हैं
कब लगे किनारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।

-डा० राष्ट्रबंधु

7 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

बच्चे सच में प्यारे हैं, आगे भी ऐसे रहे, भगवान से प्रार्थना है।

Chaitanyaa Sharma said...

बहुत प्यारी कविता....

Akshitaa (Pakhi) said...

हम बच्चे तो वाकई प्यारे हैं...राष्ट्रबंधु दादा जी ने प्यारी कविता लिखी.

raghav said...

आकाश हमारा है, हमसे उजियारे हैं
तारों जैसे चमचम, आँखों के तारे हैं
हम बच्चे प्यारे हैं।
...बाल-दुनिया पर राष्ट्रबंधु जी की एक और अनुपम प्रस्तुति...बधाई.

raghav said...

राष्ट्रबंधु जी हमारे नगर कानपुर के ही हैं, अत: उनकी रचनाएँ पढना और भी अच्छा लगता है.

Dr. Brajesh Swaroop said...

हम वोट नहीं देते, हम नोट नहीं लेते
बटते कब पक्षों में, यक्षों या कक्षा में
आवरण उघारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।

आज के दौर में बेहद प्रासंगिक पंक्तियाँ...मन को छू गईं.

Dr. Brajesh Swaroop said...

चर्चित बाल साहित्यकार आदरणीय राष्ट्रबंधु जी को बार-बार पढ़िए, फिर भी मन नहीं भरता. आप उनकी रचनाओं से रु-ब-रु करा रही हैं, हमारा सौभाग्य.