पुराने का न करो तिरस्कार : ओम प्रकाश बजाज
पुराने का न करो तिरस्कार,
पुराना नहीं होता सब बेकार,
बहुत काम के होते हैं,
पुराना घी, गुड़, चावल, अचार.
पुराने कपड़े, जूते, कापियां, किताबें,
कचरे में न डालो।
अपनी ये सब फालतू चीजें,
जरूरतमंदों को दिलवा दो.
नया खरीदने के चाव में,
पुराना बेकार न करते जाओ,
फजूलखर्ची की आदत छोड़ो,
किफायत का रहन-सहन अपनाओ।
ओम प्रकाश बजाज, बी-2, गगन विहार, गुप्तेश्वर, जबलपुर-482001
6 comments:
बहुत प्यारी कविता...बजाज जी को बधाई.
नया खरीदने के चाव में,
पुराना बेकार न करते जाओ,
फजूलखर्ची की आदत छोड़ो,
किफायत का रहन-सहन अपनाओ।...बच्चों और बड़ों दोनोंके लिए सार्थक सन्देश.
पिताजी के पास बिलकुल यही कैमरा था।
बहुत अच्छी शिक्षा ....धन्यवाद .
पुराने कपड़े, जूते, कापियां, किताबें,
कचरे में न डालो।
अपनी ये सब फालतू चीजें,
जरूरतमंदों को दिलवा दो.
....कविता में छुपे भाव काफी ज्ञान्दायी हैं..
"Merry Christmas-मेरी क्रिसमस "
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HAPPY CHRISTMAS.
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सभी को क्रिसमस की शुभकामनाएँ!
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आपकी पोस्ट बाल चर्चा मंच परचर्चा में है!
http://mayankkhatima.uchcharan.com/2010/12/merry-christmas-32.html
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