Friday, 11 January 2013

हमारी माँ अगर होती


हमारी माँ अगर होती, हमारे साथ में पापा|
फटकने दुख नहीं देती ,हमारे पास में पापा|


सुबह उठकर हमें वह दूध ,हँस हँस कर पिलाती थी|

डबल रोटी या बिस्कुट ,साथ में ,हमको खिलाती थी|

अगर होती सुबह से ही ,कभी की उठ चुकी होती|

हमें रहने नहीं देती, कभी उपवास में पापा|


हमारे स्वप्न जो होते, उन्हें साकार करती थी|

किसी भी और माता से,अधिक वह प्यार करती थी|

नहीं अब साथ में तो यह,जहां बेकार लगता है|

नहीं अब कुछ बचा बाकी,हमारे हाथ में पापा|


सदा सोने से पहले लोरियाँ ,हमको सुनाती थी|

इशारे से कभी चंदा, कभी तारे दिखाती थी|

हमें जब है जरूरत है,प्यार के बादल बरसने की|

पड़ा है किस तरह सूखा भरी बरसात में पापा|


हमें यूं छोड़कर जाने की,उसको क्या जरूरत थी|

उसी के साथ जीवन भर, हमें रहने की हसरत थी|
हमें लगता किसी ने,यूं नज़र हमको लगाई है|

छुपा बैठा हमारे घर,हमारी घात में पापा|
 

- प्रभुदयाल श्रीवास्तव : pdayal_shrivastava@yahoo.com


लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|

6 comments:

Unknown said...

हमें जब है जरूरत है,प्यार के बादल बरसने की|


पड़ा है किस तरह सूखा भरी बरसात में पापा|

nice expressions..Congts.

प्रवीण पाण्डेय said...

ममता का उपहार सदा बरसे, सुन्दर बाल कविता..

प्रतिभा सक्सेना said...


बाल-मन के अभाव को कवि के संवेदनशील हृदय ने खूब पहचाना है - संसार का कोई भी बालक माँ की ममता से वंचित न रहे !

Anita Lalit (अनिता ललित ) said...

ईश्वर करे माँ की ममता का आँचल किसी के सिर से ना उठे.............

मेरा मन पंछी सा said...

बेहद मार्मिक रचना...

Prabhudayal Shrivastava said...

सभी प्रशंसकों को धन्यवाद

प्रभुदयाल श्रीवास्तव‌