हमारी माँ अगर होती, हमारे साथ में पापा|
फटकने दुख नहीं देती ,हमारे पास में पापा|
सुबह उठकर हमें वह दूध ,हँस हँस कर पिलाती थी|
डबल रोटी या बिस्कुट ,साथ में ,हमको खिलाती थी|
अगर होती सुबह से ही ,कभी की उठ चुकी होती|
हमें रहने नहीं देती, कभी उपवास में पापा|
हमारे स्वप्न जो होते, उन्हें साकार करती थी|
किसी भी और माता से,अधिक वह प्यार करती थी|
नहीं अब साथ में तो यह,जहां बेकार लगता है|
नहीं अब कुछ बचा बाकी,हमारे हाथ में पापा|
सदा सोने से पहले लोरियाँ ,हमको सुनाती थी|
इशारे से कभी चंदा, कभी तारे दिखाती थी|
हमें जब है जरूरत है,प्यार के बादल बरसने की|
पड़ा है किस तरह सूखा भरी बरसात में पापा|
हमें यूं छोड़कर जाने की,उसको क्या जरूरत थी|
उसी के साथ जीवन भर, हमें रहने की हसरत थी|
हमें लगता किसी ने,यूं नज़र हमको लगाई है|
छुपा बैठा हमारे घर,हमारी घात में पापा|
- प्रभुदयाल श्रीवास्तव : pdayal_shrivastava@yahoo.com
लेखन विगत दो दशकों से अधिक समय से कहानी,कवितायें व्यंग्य ,लघु कथाएं लेख, बुंदेली लोकगीत,बुंदेली लघु कथाए,बुंदेली गज़लों का लेखन प्रकाशन लोकमत समाचार नागपुर में तीन वर्षों तक व्यंग्य स्तंभ तीर तुक्का, रंग बेरंग में प्रकाशन,दैनिक भास्कर ,नवभारत,अमृत संदेश, जबलपुर एक्सप्रेस,पंजाब केसरी,एवं देश के लगभग सभी हिंदी समाचार पत्रों में व्यंग्योँ का प्रकाशन, कविताएं बालगीतों क्षणिकांओं का भी प्रकाशन हुआ|पत्रिकाओं हम सब साथ साथ दिल्ली,शुभ तारिका अंबाला,न्यामती फरीदाबाद ,कादंबिनी दिल्ली बाईसा उज्जैन मसी कागद इत्यादि में कई रचनाएं प्रकाशित|
7 comments:
हमें जब है जरूरत है,प्यार के बादल बरसने की|
पड़ा है किस तरह सूखा भरी बरसात में पापा|
nice expressions..Congts.
ममता का उपहार सदा बरसे, सुन्दर बाल कविता..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बाल-मन के अभाव को कवि के संवेदनशील हृदय ने खूब पहचाना है - संसार का कोई भी बालक माँ की ममता से वंचित न रहे !
ईश्वर करे माँ की ममता का आँचल किसी के सिर से ना उठे.............
बेहद मार्मिक रचना...
सभी प्रशंसकों को धन्यवाद
प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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