Tuesday 31 May, 2011

अकड़ : दीनदयाल शर्मा


अकड़-अकड़ कर
क्यों चलते हो
चूहे चिंटूराम,
ग़र बिल्ली ने
देख लिया तो
करेगी काम तमाम,

चूहा मुक्का तान कर बोला
नहीं डरूंगा दादी
मेरी भी अब हो गई है
इक बिल्ली से शादी।

-दीनदयाल शर्मा

7 comments:

Kailash Sharma said...

बहुत रोचक बाल गीत...

प्रवीण पाण्डेय said...

ये हुई न बात।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत सुंदर रचना।

बधाई।

---------
विश्‍व तम्‍बाकू निषेध दिवस।
सहृदय और लगनशीन ब्‍लॉगर प्रकाश मनु।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

chuhe raja ne dikha hi di takat........

Unknown said...

चूहा मुक्का तान कर बोला
नहीं डरूंगा दादी
मेरी भी अब हो गई है
इक बिल्ली से शादी।

...Majedar !!

Unknown said...

चूहा-बिल्ली के फोटोज भी आकर्षक..बधाई.

दीनदयाल शर्मा said...

मेरी कविता "अकड़.." आपके ब्लॉग पर लगाने के लिए आपका हृदय से आभार..और रचना पसंद करने वाले पाठकों का बहुत बहुत धन्यवाद...