Sunday, 14 November 2010

लौट आओ बचपन : आकांक्षा यादव


नेहरु जी के जन्म दिवस को 'बाल-दिवस' के रूप में मनाया जाता है. वाकई बाल-मन बड़ा चंचल होता है और बचपन की यादें हमेशा ताजी रहती हैं. आज बाल-दिवस पर बचपन की बातें हो जाएँ-

बचपन मेरा कितना प्यारा
मम्मी-पापा का राजदुलारा
माँ की ममता, पापा का प्यार
याद आता है लाड़-दुलार।

बचपन मेरा लौट जो आए
जीवन में खुशहाली लाए
पढ़ाई से मिलेगी छुट्टी
बात नहीं कोई होगी झूठी।

अब बचपन मेरे लौट भी आओ
हंसो, खेलो और मौज मनाओ।

14 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बचपन आज पढाई के बोझ से दबा हुआ है ...अच्छी प्रस्तुति

आशीष मिश्रा said...

अच्छी कविता,..............

Akshitaa (Pakhi) said...

अले वाह, आज तो बाल दिवस है. प्यारी सी कविता लिखी मम्मा ने..बधाई.

KK Yadav said...

बाल दिवस की ढेरों बधाइयाँ..प्यारी सी कविता मन को भा गई.

KK Yadav said...

बाल दिवस की ढेरों बधाइयाँ..प्यारी सी कविता मन को भा गई.

Unknown said...

बचपन मेरा लौट जो आए
जीवन में खुशहाली लाए
पढ़ाई से मिलेगी छुट्टी
बात नहीं कोई होगी झूठी।
.....इसे तो खूब गुनगुनाने का मन कह रहा है.

प्रवीण पाण्डेय said...

बचपन के रंग, वो तरंग,
काश आज भी होते संग।

रावेंद्रकुमार रवि said...

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दुनिया के सभी बच्चों को
मेरी तरफ से बहुत-बहुत प्यार!

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ashish said...

कोमल बाल अभिव्यक्ति. बाल दिवस की शुभकामनाये .
http://ashishkriti.blogspot.com/

Shyama said...

बहुत सुन्दर भाव !
--
बाल दिवस की शुभकामनाएँ!

Akanksha Yadav said...

आप सभी ने इस पोस्ट को सराहा...आपका आभार और धन्यवाद.

S R Bharti said...

बचपन की बातें और यादें बड़ी सुखदायी होती हैं..लौट आओ बचपन.

रानीविशाल said...

देर से पढ़ी :(
बहुत सुन्दर कविता है ...आभार
अनुष्का

विनोद पाराशर said...

बाल-दिवस पर,आपकी कविता-बचपन की अनुभूतियों को ताजा कर गयी.लगता हॆ एक कविता मुझे भी भेजनी ही पडेगी.