पंचतंत्र की कहानियाँ तो सभी ने सुनी और पढ़ी होंगी। इससे जुड़ी तमाम कहानियाँ पशु, पक्षी, पेड़, प्रकृति तथा राजा-रानी को आधार बना कर रची गयी हैं। यह जानने की जिज्ञासा हर किसी के मन में अवश्य होगी कि आखिर इन पंचतंत्र की कहानियों की रचना कब, किसने और क्यों की? अब से लगभग 1800 वर्ष पूर्व हमारे देश में अमर शक्ति नामक यशस्वी राजा हुआ। इस राजा बहुशक्ति, उग्रशक्ति एवं मंदशक्ति नामक तीन पुत्र थे। तीनों बात-बात पर झगड़ते रहते थे। उनकी बुद्धिहीनता के कारण राजा बहुत ही चिन्तित रहता था। एक दिन उसने अपनी यह चिन्ता अपने दरबार में मौजूद सभासदों के समक्ष रखी और समस्या के निदान के लिए सभासदों से सुझाव मांगा। उसी दरबार में विष्णु दत्त शर्मा भी सभासद के रूप में मौजूद थे। उन्होंने राजा अमर शक्ति से निवेदन किया कि यदि उन्हें समय दिया जाए तो वे राजकाज की चिन्ता दूर करने के लिए अपनी कुशाग्र बुद्धि एवं कौशल से राजा के तीनों पुत्रों में सुधार ला सकते हे। इसके लिए वे तीनों राजकुमारों को अपने सानिध्य में रखकर उनमें समझदारी विकसित करेंगे एवं उन्हें खुले वातावरण में रख कर छोटी-बड़ी अच्छाई-बुराई, नफा-नुकसान से उन्हें अवगत करा कर उनमें बुद्धि का विकास कर एक कुशाग्र एवं प्रबुद्ध राजकुमारों के गुण विकसित करने का पूरा प्रयत्न करेंगे।
राजा अमर शक्ति को विष्णुदत्त शर्मा का सुझाव बेहद पसंद आया। उन्होंने अपने तीनों पुत्रों को विष्णुदत्त शर्मा के सानिध्य में भेज दिया। विष्णु दत्त ने छोटी-छोटी किन्तु प्रभावकारी कथाएं बना-बना कर राजा के तीनों पुत्रों को सुनाना प्रारम्भ किया। उनकी प्रेरणादायक कहानियों का राजकुमारों पर ऐसा प्रभाव हुआ कि छह महीने के अंतराल में ही उनकी बुद्धिहीनता उड़न छू हो गयी और वे समझदार राजकुमारों की तरह परस्पर बर्ताव व व्यवहार करने लग गये। विष्णुदत्त शर्मा द्वारा राजकुमारों को सुधारने के लिए बना-बनाकर जो कहानियां सुनायी गयी थीं, वही पंचतंत्र की कहानियों के रूप में आगे चल कर प्रसिद्ध र्हुइं। आज भी ये कहानियाँ भारतीय समाज में बड़े चाव से सुनी और बुनी जाती हैं।
आकांक्षा यादव
राजा अमर शक्ति को विष्णुदत्त शर्मा का सुझाव बेहद पसंद आया। उन्होंने अपने तीनों पुत्रों को विष्णुदत्त शर्मा के सानिध्य में भेज दिया। विष्णु दत्त ने छोटी-छोटी किन्तु प्रभावकारी कथाएं बना-बना कर राजा के तीनों पुत्रों को सुनाना प्रारम्भ किया। उनकी प्रेरणादायक कहानियों का राजकुमारों पर ऐसा प्रभाव हुआ कि छह महीने के अंतराल में ही उनकी बुद्धिहीनता उड़न छू हो गयी और वे समझदार राजकुमारों की तरह परस्पर बर्ताव व व्यवहार करने लग गये। विष्णुदत्त शर्मा द्वारा राजकुमारों को सुधारने के लिए बना-बनाकर जो कहानियां सुनायी गयी थीं, वही पंचतंत्र की कहानियों के रूप में आगे चल कर प्रसिद्ध र्हुइं। आज भी ये कहानियाँ भारतीय समाज में बड़े चाव से सुनी और बुनी जाती हैं।
आकांक्षा यादव
13 comments:
पंचतंत्र की रोचक कहानिया वाकई बहुत अच्छी है | इस नीतिग्रन्थ की विशेषता ही यही है कि इसकी कहानियां आज भी हमारा मार्गदर्शन करती है |
सबको ही पढ़नी चाहियें ये कहानियाँ।
कहाँ से आयीं पंचतंत्र की कहानियाँ ...जानकारी पूर्ण लेख ...
achchha laga........
.सार्थक पोस्ट जानकारी से भरी स्वागत योग्य !
बहुत ज्ञानवर्धक पोस्ट...आज भी ये कहानियां उतनी ही सार्थक हैं..
आपकी पंचतंत्र की कहानियाँ बहुत पसंद आई इस हेतु मै आपका शुक्रिया अदा करता हूँ !
plz visit my blog
वहाँ से....... ही ही।
पंचतंत्र की कहानियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. समसामयिक जीवन के कई पहलुओं के बारे में ये अभी भी राह दिखाती हैं.
अब मुझे भी पता चल गया..
Panchtantra story are Awesome
पंचतंत्र की कहानियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. समसामयिक जीवन के कई पहलुओं के बारे में ये अभी भी राह दिखाती हैं.
आपकी पंचतंत्र की कहानियां हमें बहुत ही अच्छी लगी। पंचतंत्र की कहानियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक है. समसामयिक जीवन के कई पहलुओं के बारे में ये अभी भी राह दिखाती है।
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