Friday, 25 March 2011

सब हैप्पी बर्थ-डे गाओ...


जन्मदिन है पाखी का
खूब करो धमाल
जमके आज खाओ सब
हो जाओ लाल-लाल।

सब हैप्पी बर्थ-डे गाओ
मस्ती करो, मौज मनाओ
पाखी, तन्वी, कुहू, ख़ुशी
सब मिलकर बैलून फुलाओ।

आईसक्रीम और केक खाओ
कोई भी न मुँह फुलाओ
कितना प्यारा बर्थ-डे केक
सब हैप्पी बर्थ-डे गाओ।


Wednesday, 16 March 2011

कहाँ से आई पंचतंत्र की कहानियाँ : आकांक्षा यादव

पंचतंत्र की कहानियाँ तो सभी ने सुनी और पढ़ी होंगी। इससे जुड़ी तमाम कहानियाँ पशु, पक्षी, पेड़, प्रकृति तथा राजा-रानी को आधार बना कर रची गयी हैं। यह जानने की जिज्ञासा हर किसी के मन में अवश्य होगी कि आखिर इन पंचतंत्र की कहानियों की रचना कब, किसने और क्यों की? अब से लगभग 1800 वर्ष पूर्व हमारे देश में अमर शक्ति नामक यशस्वी राजा हुआ। इस राजा बहुशक्ति, उग्रशक्ति एवं मंदशक्ति नामक तीन पुत्र थे। तीनों बात-बात पर झगड़ते रहते थे। उनकी बुद्धिहीनता के कारण राजा बहुत ही चिन्तित रहता था। एक दिन उसने अपनी यह चिन्ता अपने दरबार में मौजूद सभासदों के समक्ष रखी और समस्या के निदान के लिए सभासदों से सुझाव मांगा। उसी दरबार में विष्णु दत्त शर्मा भी सभासद के रूप में मौजूद थे। उन्होंने राजा अमर शक्ति से निवेदन किया कि यदि उन्हें समय दिया जाए तो वे राजकाज की चिन्ता दूर करने के लिए अपनी कुशाग्र बुद्धि एवं कौशल से राजा के तीनों पुत्रों में सुधार ला सकते हे। इसके लिए वे तीनों राजकुमारों को अपने सानिध्य में रखकर उनमें समझदारी विकसित करेंगे एवं उन्हें खुले वातावरण में रख कर छोटी-बड़ी अच्छाई-बुराई, नफा-नुकसान से उन्हें अवगत करा कर उनमें बुद्धि का विकास कर एक कुशाग्र एवं प्रबुद्ध राजकुमारों के गुण विकसित करने का पूरा प्रयत्न करेंगे।

राजा अमर शक्ति को विष्णुदत्त शर्मा का सुझाव बेहद पसंद आया। उन्होंने अपने तीनों पुत्रों को विष्णुदत्त शर्मा के सानिध्य में भेज दिया। विष्णु दत्त ने छोटी-छोटी किन्तु प्रभावकारी कथाएं बना-बना कर राजा के तीनों पुत्रों को सुनाना प्रारम्भ किया। उनकी प्रेरणादायक कहानियों का राजकुमारों पर ऐसा प्रभाव हुआ कि छह महीने के अंतराल में ही उनकी बुद्धिहीनता उड़न छू हो गयी और वे समझदार राजकुमारों की तरह परस्पर बर्ताव व व्यवहार करने लग गये। विष्णुदत्त शर्मा द्वारा राजकुमारों को सुधारने के लिए बना-बनाकर जो कहानियां सुनायी गयी थीं, वही पंचतंत्र की कहानियों के रूप में आगे चल कर प्रसिद्ध र्हुइं। आज भी ये कहानियाँ भारतीय समाज में बड़े चाव से सुनी और बुनी जाती हैं।

आकांक्षा यादव

Tuesday, 8 March 2011

101 साल का हो गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस


अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरूआत 1900 के आरंभ में हुई थी। वर्ष 1908 में न्यूयार्क की एक कपड़ा मिल में काम करने वाली करीब 15 हजार महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर तनख्वाह और वोट का अधिकार देने के लिए प्रदर्शन किया था। इसी क्रम में 1909 में अमेरिका की ही सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार ''नेशनल वुमन-डे'' मनाया था। वर्ष 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला दिवस मनाने का फैसला किया गया और 1911 में पहली बार 19 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इसे सशक्तिकरण का रूप देने हेतु ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में लाखों महिलाओं ने रैलियों में हिस्सा लिया. बाद में वर्ष 1913 में महिला दिवस की तारीख 8 मार्च कर दी गई। तब से हर 8 मार्च को विश्व भर में महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है.इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के 101 साल पूरे हो गए. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आप सभी को शुभकामनायें !!

Tuesday, 1 March 2011

गुलाब की प्यारी खुशबू : कृष्ण कुमार यादव


गुलाब की प्यारी खुशबू
ने ऐसा रंग जमाया
फूलों में बन सर्वोत्तम
फूलों का राजा कहलाया।

सफेद,गुलाबी,पीले,लाल
हर रंग में ये आए
एक बार जो देखे इनको
मन ही मन हर्षाये।

कांटों में गुलाब पलता है
कष्टों में गुलाब चलता है
बच्चों अपनाओं इस गुण को
जीवन इसी तरह चलता है।