Sunday, 23 December 2012

फिर भी सबसे ठीक हूँ

 
पढ़ने में थोड़ा वीक हूँ
फिर भी सबसे ठीक हूँ।

कभी नहीं मै कक्षा में
करता हूँ शैतानी
दिल दुखाना नहीं किसी का
समझाती है नानी।

इसीलिए मैं किसी को
नही देता हूँ संताप
दूजों को सुख मिले सदा
ऐसे करता हूँ उत्पात।

सहन नहीं कर पता
मैं कोई अत्याचार
मीठे बोल सभी से बोलूं
है ऐसा व्यवहार।

छोटे और बड़े सभी को
देता समुचित मान
भूले से भी मैं शत्रु का
न करता अपमान।

सीखा यही, सिखाता आया
बोल-बोल मृदुबानी
हँसा-हँसा कर करता हूँ
मै ज्ञान भरी शैतानी।

-सुमित कुमार भारती, लखनऊ-