'बाल-दुनिया' में बच्चों की बातें होंगी, बच्चों के बनाये चित्र और रचनाएँ होंगीं, उनके ब्लॉगों की बातें होगीं, बाल-मन को सहेजती बड़ों की रचनाएँ होंगीं और भी बहुत कुछ....
Tuesday, 11 October 2011
Saturday, 8 October 2011
माँ - दीनदयाल शर्मा

माँ तू आंगन मैं किलकारी,
माँ ममता की तुम फुलवारी।
सब पर छिड़के जान,
माँ तू बहुत महान।।
दुनिया का दरसन करवाया,
कैसे बात करें बतलाया।
दिया गुरु का ज्ञान,
माँ तू बहुत महान।।
मैं तेरी काया का टुकड़ा,
मुझको तेरा भाता मुखड़ा।
दिया है जीवनदान,
माँ तू बहुत महान।।
कैसे तेरा कर्ज चुकाऊं,
मैं तो अपना फर्ज निभाऊं।
तुझ पर मैं कुर्बान,
माँ तू बहुत महान।।
-दीनदयाल शर्मा,
10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जंक्शन-335512
राजस्थान, भारत
हनुमानगढ़ जंक्शन-335512
राजस्थान, भारत
Thursday, 15 September 2011
हिंदी है यह हिंदी है...(कृष्ण कुमार यादव)

हिन्दी है यह हिन्दी है
राष्ट्र-भाल की बिन्दी है
भाषाओं की जान है
भारत का अरमान है।
अमर शहीदों ने अपनाया
अंग्रेजों को मार भगाया
बापू थे इसके पैरोकार
संविधान में मिला स्थान।
हम सबकी है यह अभिलाषा
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा
आओ सब गुणगान करें
सब मिलकर सम्मान करें।
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Monday, 5 September 2011
शिक्षक दिवस पर हार्दिक बधाइयाँ
Monday, 22 August 2011
भयो नन्द लाल

माचो गोकुल में है त्यौहार, भयो नन्द लाल
खुशिया छाई है अपरम्पार, भयो नन्द लाल
मात यशोदा का है दुलारा,
सबकी आँखों का है तारा
अपनों गोविन्द मदन गोपाल
......... भयो नन्द लाल
मात यशोदा झूम रही है
कृष्णा को वो चूम रही है
झूले पलना मदन गोपाल
......... भयो नन्द लाल
देख के उसकी भोली सुरतिया
बोल रही है सारी सखिया
कितनो सुंदर है मदन गोपाल
......... भयो नन्द लाल
!! कृष्ण जन्माष्टमी की आप सभी को शुभकामनायें !!
जनोक्ति : निर्भय जैन
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Monday, 15 August 2011
तिरंगे की शान : कृष्ण कुमार यादव

तीन रंगों का प्यारा झण्डा
राष्ट्रीय ध्वज है कहलाता
केसरिया, सफेद और हरा
आन-बान से यह लहराता
चौबीस तीलियों से बना चक्र
प्रगति की राह है दिखाता
समृद्धि और विकास के सपने
ले ऊँचे नभ में सदा फहराता
अमर शहीदों की वीरता और
बलिदान की याद दिलाता
कैसे स्वयं को किया समर्पित
इसकी झलक दिखलाता
आओ हम यह खायें कसम
शान न होगी इसकी कम
वीरों के बलिदानों को
व्यर्थ न जानें देंगे हम।
कृष्ण कुमार यादव
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Saturday, 13 August 2011
Monday, 18 July 2011
उल्लू : दीनदयाल शर्मा

उल्लू होता सबसे न्यारा,
दिखे इसे चाहे अँधियारा ।
लक्ष्मी का वाहन कहलाए,
तीन लोक की सैर कराए ।
हलधर का यह साथ निभाता,
चूहों को यह चट कर जाता ।
पुतली को ज्यादा फैलाए,
दूर-दूर इसको दिख जाए ।
पीछे भी यह देखे पूरा,
इसको पकड़ न पाए जमूरा ।
जग में सभी जगह मिल जाता,
गिनती में यह घटता जाता ।
ज्ञानीजन सारे परेशान,
कहाँ गए उल्लू नादान।।
संपर्क: 10/22, आर.एच.बी. कॉलोनी, हनुमानगढ़ जं., पिन कोड- 335512, राजस्थान,
मोबाइल - 09414514666
Friday, 24 June 2011
धरती को प्रणाम मेरा : डॉ० राष्ट्रबंधु

कण कण को प्रणाम मेरा
क्षण क्षण को प्रणाम मेरा
प्रतिभा को प्रणाम मेरा
धरती को प्रणाम मेरा।
चित्रकूट, वृन्दावन, केरल
सोमनाथ उज्जयिनी धाम
रोमेश्वर, नवद्वीप, अमृतसर
कपिवस्तु साँची अभिराम।
श्रमण बेल गोला, अजमेरी
आस्था को प्रणाम मेरा।
कण कण ......।।
जहाँ गुफाएँ और सुरंगें
कहती हैं श्रम की महिमा
खजुराहो, कोणार्क, अजंता
जड़ को देते हैं गरिमा।
चेतन शिल्पकार अनजाने
प्रतिभा को प्रणाम मेरा।
कण कण ......।।
मिट्टी के नीचे चट्टानें
जहाँ संगमरमर शैशव
बंजर धरती में भी धन है,
सतत् साधना से वैभव
प्रासादों में पाषाणों की
शोभा को प्रणाम मेरा।
कण कण ......।।
वर्षा सब ऋतुओं में रहती
गढ़ती है मनचाहा रूप
हरियाली का फल फसलें हैं
जिनका रूपक भव्य अनूप।
सृजन प्ररूप पानी पर निर्भर
कृषकों को प्रणाम मेरा।
कण कण ......।।
छोटे पर्वत बड़े हो गए
बूढ़े कमर झुकाए हैं
उनके ऊपर पशु चलते हैं
पक्षी पर फैलाए हैं
विंध्याचल सहयाद्रि हिमालय
श्रमिकों को प्रणाम मेरा।
कण कण ......।।
नैमिष, उत्पल, दण्डक, सुन्दर
वन अंचल केवल हैं शेष
आग और पानी रखते हैं
खनिज खनन देते अवशेष।
बैलाडीला, झारखण्ड के
श्रमिकों को प्रणाम मेरा।
कण कण ......।।
कुरुक्षेत्र, हल्दीघाटी के,
कण कण में इतिहास सना
मैदानी भागों में जन जन
के कारण विस्तार बना।
कच्छ, पोखरन हरिकोटा
वैज्ञानिक को प्रणाम मेरा।
कण कण ......।।
-डॉ० राष्ट्रबंधु-
Monday, 6 June 2011
तालमेल : डॉ० राष्ट्रबंधु

एक फूल पाँखुरी
फूल छोड़कर बढ़ी
वायु के बहाव में
पंक में गिरी झड़ी
हो गई विवश विलाप कर रही
रूप रंग गंध लिए मर रही।
एक बूँद नीर की
साथ छोड़कर बढ़ी
ताप में जली भुनी
भाप की बढ़ी चढ़ी
सूखने लगी अलग थलग हुई
बन गई प्रवाह में छुई मुई।
एकता के योग से
एक तारिका गिरी
अपशकुन हुआ कहीं
व्योम में लगी झिरी
तालमेल टूटना प्रलाप है
तालमेल बैठना प्रताप है।
-डॉ० राष्ट्रबंधु-
Tuesday, 31 May 2011
अकड़ : दीनदयाल शर्मा

अकड़-अकड़ कर
क्यों चलते हो
चूहे चिंटूराम,
ग़र बिल्ली ने
देख लिया तो
करेगी काम तमाम,
चूहा मुक्का तान कर बोला
नहीं डरूंगा दादी
मेरी भी अब हो गई है
इक बिल्ली से शादी।
-दीनदयाल शर्मा
Wednesday, 18 May 2011
बाल श्रम : डाo एo कीर्तिवर्धन

मैं खुद प्यासा रहता हूँ पर
जन-जन कि प्यास बुझाता हूँ
बालश्रम का मतलब क्या है
समझ नहीं मैं पाता हूँ
भूखी अम्मा, भूखी दादी
भूखा मैं भी रहता हूँ
पानी बेचूं,प्यास बुझाऊं
शाम को रोटी खाता हूँ
उनसे तो मैं ही अच्छा हूँ
जो भिक्षा माँगा करते हैं
नहीं गया विद्यालय तो क्या
मेहनत कि रोटी खाता हूँ
पढ़ लिख कर बन जाऊं नेता
झूठे वादे दे लूँ धोखा
अच्छा इससे अनपढ़ रहना
मानव बनना होगा चोखा
मानवता कि राह चलूँगा
खुशियों के दीप जलाऊंगा
प्यासा खुद रह जाऊँगा,पर
जन जन कि प्यास बुझाऊंगा
--
डाo एo कीर्तिवर्धन
09911323732
http://kirtivardhan.blogspot.com/
Sunday, 8 May 2011
माँ के रूप : डा0 मीना अग्रवाल

माँ तो है संगीत रूप
माँ गीत रूप, माँ नृत्य रूप
माँ भक्ति रूप, माँ शक्ति रूप
माँ की वाणी है मधु स्वरूप
गति है माँ की ताल रूप
सब कर्म बने थिरकन स्वरूप
व्यक्तित्व बना माँ का अनूप
श्रद्धा की है वह प्रतिरूप
माँ के हैं अनगिनत रूप !!
Monday, 25 April 2011
प्यार से समझाएं बच्चों को..

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट में कहा गया हैं, कि दो से 14 साल की आयु के बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए तीन चौथाई बच्चों के साथ हिंसा का सहारा लिया जाता है । इसमें आधे बच्चों को शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है । जेनेवा में आयोजित यूएन की मानवाधिकार समिति के बैठक में यूनिसेफ ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत किया । यह रिपोर्ट दुनिया के ३३ निचले और मध्यम आय वाले देशों के 1-14 आयुवर्ग के बच्चों पर आधारित थी, जिसमें बच्चों के अभिभावक भी शामिल थे । बैठक में यूएन विशेषज्ञों ने तय किया कि बच्चों के प्रति हिंसात्मक रवैया न अपनाने के लिए जागरूकता फैलाई जाये। इसको रोकने लिए दुनियाभर की सरकारें कानूनी कदम उठायें ।
रिपोर्ट में कहा गया है, कि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए घरों में आठ तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है । इसमें कुछ शारीरिक हैं, तो कुछ मानसिक । शारीरिक हिंसा में बच्चों को पीटना या जोर से झकझोरना आदि है, जबकि मानसिक हिंसा में बच्चों पर चीखना या नाम लेकर डांटना आदि है ।
थोड़े देर के लिए यह बात ठीक भी है, लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है जो काफी खतरनाक है । बचपन में बोया गया हिंसा का ये बीज युवा होते-होते विषधर वटवृक्ष का रूप ले लेता है, जो किसी भी रूप में अच्छा नहीं है । यह सच है कि शिक्षा और शिष्टाचार सिखाने के लिए अनुशासन जरूरी है । हो सकता है, अनुशासन के लिए दंड भी आवश्यक हो, लेकिन दंड इतना कभी नहीं होना चाहिए कि बच्चों के कोमल मन और उसके स्वाभिमान पर चोट करे, उसकी कोमल भावनाएं आहत हो ।
बच्चों पर किये या हुए हिंसक और हृदय विदारक अत्याचार न केवल उनके बाल सुलभ मन को कुंठित करते हैं, बल्कि उनके मन में एक बात घर कर जाती है, कि बड़ों (सबलों) को छोटों (निर्बल) पर हिंसा करने का अधिकार है । बाल सुलभ मन पर घर कर जाने वाली यही बात, कुंठा आगे चलकर निजी जिंदगी और सामाजिक जीवन में विषवेल के रूप में दिखाई देता है । गलती करना इंसान कि फितरत है, और गलती को सुधार लेना इंसान कि बुद्धिमता का परिचायक । गलती कोई भी करे, एहसास होने पर उसे भी दुख होता है । गलती पर दंड देने या प्रताड़ित करने से हो चुकी गलती को सुधारा नहीं जा सकता है । प्रताड़ित करने और मन को आहत करने के बजाये उसे बताया जाना चाहिए कि गलती हुई तो क्यों और कैसे हुई? उसके नुकसान का आंकलन बच्चों से ही कराएँ।
गलती का एहसास कराने के लिए हिंसक होने की जरूरत नहीं है, प्यार से बताएं । प्यार हर काम को आसन करता है । यह मुश्किल तो है, लेकिन दुश्कर नहीं और परिणाम सौ प्रतिशत ।
साभार : समय दर्पण
Friday, 1 April 2011
अप्रैल फूल दिवस कहाँ से आया...

अप्रैल फूल दिवस पश्चिमी देशों में हर साल पहली अप्रैल को मनाया जाता है. विकिपीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार कभी-कभी ऑल फूल्स डे के रूप में जाना जाने वाला यह दिन, 1 अप्रैल एक आधिकारिक छुट्टी का दिन नहीं है लेकिन इसे व्यापक रूप से एक ऐसे दिन के रूप में जाना और मनाया जाता है जब एक दूसरे के साथ व्यावाहारिक मजाक और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें की जाती हैं. इस दिन दोस्तों, परिजनों, शिक्षकों, पड़ोसियों, सहकर्मियों आदि के साथ अनेक प्रकार की शरारतपूर्ण हरकतें और अन्य व्यावहारिक मजाक किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य होता है बेवकूफ और अनाड़ी लोगों को शर्मिंदा करना.
पारंपरिक तौर पर कुछ देशों जैसे न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मजाक केवल दोपहर तक ही किये जाते हैं, और अगर कोई दोपहर के बाद किसी तरह की कोशिश करता है तो उसे "अप्रैल फूल" कहा जाता है. ऐसा इसीलिये किया जाता है क्योंकि ब्रिटेन के अखबार जो अप्रैल फूल पर मुख्य पृष्ठ निकालते हैं वे ऐसा सिर्फ पहले (सुबह के) एडिशन के लिए ही करते हैं. इसके अलावा फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में जोक्स का सिलसिला दिन भर चलता रहता है. 1 अप्रैल और मूर्खता के बीच सबसे पहला दर्ज किया गया संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में पाया जाता है.
रोम, मध्य यूरोप और हिंदू समुदाय में 20 मार्च से लेकर 5 अप्रैल तक नया साल मनाया जाता है। इस दौरान बसंत ऋतु होती है। जूनियल कैलेंडर ने एक अप्रैल से नया साल माना जोकि सन् 1582 तक मनाया गया। इसके बाद पोप ग्रेगी 13वें ने ग्रेगियन कैलेंडर बनाया। इसके अनुसार एक जनवरी को नया साल घोषित किया गया। कई देशों ने सन 1660 में ग्रेगीयन कैलेंडर स्वीकार कर लिया।
जर्मनी, दनिश और नार्वे में सन् 1700 और इंग्लैंड में 1759 में एक जनवरी को नए साल के रूप में स्वीकार किया गया। फ्रांस के लोगों को लगा की साल का पहला दिन बदलकर उन्हें मूर्ख बनाया गया है और पुराने कैलेंडर के नववर्ष को उन्होंने मूर्ख दिवस घोषित कर दिया।
अप्रैल फूल दिवस की एक बानगी देखें कि जीमेल (gmail) के 1 अप्रैल को लांच होने को एक मज़ाक समझा गया था, क्योंकि गूगल पारंपरिक तौर पर हर 1 अप्रैल को अप्रैल फूल्स डे के होक्स जारी करती है, और घोषित किया गया 1 जीबी का ऑनलाइन स्टोरेज उस समय मौजूदा ऑनलाइन ईमेल सेवा के लिए बहुत ही ज्यादा था .
अब तो पूरी दुनिया में ही अप्रैल-फूल का प्रचलन बढ़ चला है, सो भारत भी अछूता नहीं. हर कोई एक दिन पहले से ही तैयारी करने लगता है कि किसे-किसे मूर्ख बनाना है, और कैसे बनाना है.
फ़िलहाल अप्रैल फूल दिवस का लुत्फ़ उठायें, पर किसी कि भावनाएं आहत करने से बचें. बकौल हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र यादव इस दिन हार्ट पेशेंट का खास ख्याल रखें। उन्होंने कहा कि कई बार गंभीर मजाक से भावनाओं के उतार-चढ़ाव के कारण कोरोनरी में अवरोध पैदा होता है। यदि कोरोनरी धमनियों में पहले से ही समस्या हो तो समस्या गंभीर हो जाती है। इस स्थिति में धमनियों के अंदर की चिकनी सतह खुरदरी हो जाती है। इससे वहां पर कोलेस्ट्रॉल सरीखा तत्व जमा होने लगता है। खून जमना शुरू हो जाता है। यह हृदय के लिए बहुत घातक साबित हो सकता है।किसी का मजाक उड़ाने की बजाय मजाक-मजाक में नई सीख सिखाएं तो इस दिन का भरपूर आनंद लिया जा सकता है.
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Friday, 25 March 2011
सब हैप्पी बर्थ-डे गाओ...

जन्मदिन है पाखी का
खूब करो धमाल
जमके आज खाओ सब
हो जाओ लाल-लाल।
सब हैप्पी बर्थ-डे गाओ
मस्ती करो, मौज मनाओ
पाखी, तन्वी, कुहू, ख़ुशी
सब मिलकर बैलून फुलाओ।
आईसक्रीम और केक खाओ
कोई भी न मुँह फुलाओ
कितना प्यारा बर्थ-डे केक
सब हैप्पी बर्थ-डे गाओ।
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Thursday, 17 March 2011
Wednesday, 16 March 2011
कहाँ से आई पंचतंत्र की कहानियाँ : आकांक्षा यादव

राजा अमर शक्ति को विष्णुदत्त शर्मा का सुझाव बेहद पसंद आया। उन्होंने अपने तीनों पुत्रों को विष्णुदत्त शर्मा के सानिध्य में भेज दिया। विष्णु दत्त ने छोटी-छोटी किन्तु प्रभावकारी कथाएं बना-बना कर राजा के तीनों पुत्रों को सुनाना प्रारम्भ किया। उनकी प्रेरणादायक कहानियों का राजकुमारों पर ऐसा प्रभाव हुआ कि छह महीने के अंतराल में ही उनकी बुद्धिहीनता उड़न छू हो गयी और वे समझदार राजकुमारों की तरह परस्पर बर्ताव व व्यवहार करने लग गये। विष्णुदत्त शर्मा द्वारा राजकुमारों को सुधारने के लिए बना-बनाकर जो कहानियां सुनायी गयी थीं, वही पंचतंत्र की कहानियों के रूप में आगे चल कर प्रसिद्ध र्हुइं। आज भी ये कहानियाँ भारतीय समाज में बड़े चाव से सुनी और बुनी जाती हैं।
आकांक्षा यादव
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Tuesday, 8 March 2011
101 साल का हो गया अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरूआत 1900 के आरंभ में हुई थी। वर्ष 1908 में न्यूयार्क की एक कपड़ा मिल में काम करने वाली करीब 15 हजार महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर तनख्वाह और वोट का अधिकार देने के लिए प्रदर्शन किया था। इसी क्रम में 1909 में अमेरिका की ही सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार ''नेशनल वुमन-डे'' मनाया था। वर्ष 1910 में डेनमार्क के कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस हुई जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला दिवस मनाने का फैसला किया गया और 1911 में पहली बार 19 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। इसे सशक्तिकरण का रूप देने हेतु ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में लाखों महिलाओं ने रैलियों में हिस्सा लिया. बाद में वर्ष 1913 में महिला दिवस की तारीख 8 मार्च कर दी गई। तब से हर 8 मार्च को विश्व भर में महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है.इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के 101 साल पूरे हो गए. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आप सभी को शुभकामनायें !!
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Tuesday, 1 March 2011
गुलाब की प्यारी खुशबू : कृष्ण कुमार यादव
Wednesday, 16 February 2011
झूठी हुई कहावत : घमंडी लाल अग्रवाल

यदि तुम खेलोगे-कूदोगे
तो ख़राब बन जाओगे,
झूठी हुई कहावत यह तो,
सबको ही बतलाओगे।
पढ़ने-लिखने वाले ही क्या
बस नवाब बन पाते हैं?
खेलकूद में रहते अव्वल
वे भी नाम कमाते हैं,
नई धरा है, नया गगन है
नये लक्ष्य तुम पाओगे।
देखो चाहे तेंदुलकर को
या सुनील गावस्कर को,
अथवा पी. टी. ऊषा हो फिर
खेल प्रिय नारी-नर को,
खेलों से ही नाम कमाया,
कैसे उन्हें भुलाओगे?
कितने पुरस्कार खेलों में,
देतीं अपनी सरकारें,
नौकरियों में मिले वरीयता
खुशियाँ हैं झाला मारें,
बढ़ें अगर खेलों में आगे
जीत वलर्ड कप लाओगे।
स्वास्थ्य बने खेलों से उत्तम,
मान और सम्मान मिले,
खेल बढ़ाते भाईचारा,
पंथ बहुत आसान मिले,
खेलो, सुस्ती दूर धकेलो
पूरे जग में छाओगे।
घमंडी लाल अग्रवाल, 785/8 अशोक विहार, गुडगाँव-122001
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Tuesday, 8 February 2011
वीणावादिनी सरस्वती की पूजा का भी दिन है वसंत पंचमी

वसंत पंचमी एक ओर जहां ऋतुराज के आगमन का दिन है, वहीं यह विद्या की देवी और वीणावादिनी सरस्वती की पूजा का भी दिन है। इस ऋतु में मन में उल्लास और मस्ती छा जाती है और उमंग भर देने वाले कई तरह के परिवर्तन देखने को मिलते हैं। वसंत पंचमी के दिन कोई भी नया काम प्रारम्भ करना शुभ माना जाता है। इसी कारण ऋषियों ने वसन्त पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की प्रथा चली आ रही है। किसी भी कला और संगीत कि शिक्षा प्रारम्भ करने से पूर्व माता सरस्वती का पूजन करना शुभ होता है।
जो छात्र मेहनत के साथ माता सरस्वती की आराधना करते है। उन्हें ज्ञान के साथ साथ सम्मान की प्राप्ति भी होती है। वसंत पंचमी के दिन सबसे पहले श्री गणेश का पूजन किया जाता है। श्री गणेश के बाद मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। शिक्षा, चतुरता के ऊपर विवेक का अंकुश लगाती है।वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के भोग में विशेष रूप से चावल का भोग लगाया जाता है। इसका कारण यह है कि मां सरस्वती को श्वेत रंग बहुत प्रिय है साथ ही चावल को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि चावल का भोग लगाने से घर के सभी सदस्यों को मां सरस्वती के आर्शीवाद के साथ सकारात्मक बुद्धि की भी प्राप्ति होती है।
इससे शरद ऋतु की विदाई के साथ ही पेड़-पौधों और प्राणियों में नवजीवन का संचार होता है। प्रकृति नख से शिख तक सजी नजर आती है और तितलियां तथा भंवरे फूलों पर मंडराकर मस्ती का गुंजन गान करते दिखाई देते हैं। इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनने का चलन है, क्योंकि वसंत में सरसों पर आने वाले पीले फूलों से समूची धरती पीली नजर आती है।
वसंत पंचमी की आप सभी को बधाइयाँ !!
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विशेष दिवस/पर्व-त्यौहार
Wednesday, 26 January 2011
तिरंगे की शान : कृष्ण कुमार यादव

तीन रंगों का प्यारा झण्डा
राष्ट्रीय ध्वज है कहलाता
केसरिया, सफेद और हरा
आन-बान से यह लहराता
चौबीस तीलियों से बना चक्र
प्रगति की राह है दिखाता
समृद्धि और विकास के सपने
ले ऊँचे नभ में सदा फहराता
अमर शहीदों की वीरता और
बलिदान की याद दिलाता
कैसे स्वयं को किया समर्पित
इसकी झलक दिखलाता
आओ हम यह खायें कसम
शान न होगी इसकी कम
वीरों के बलिदानों को
व्यर्थ न जानें देंगे हम।
कृष्ण कुमार यादव
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विशेष दिवस/पर्व-त्यौहार
Thursday, 20 January 2011
देश की शान बने ये वीर बच्चे...

प्रतिष्ठित गीता चोपड़ा पुरस्कार केरल की 13 वर्षीय जिस्मी पीएम को पानी में डूबते दो बच्चों को बचाने के लिए मिलेगा। इसी तरह तेंदुए से अपनी बहन को बचाने के लिए उत्तराखंड के 11 वर्षीय प्रियांशु जोशी को संजय चोपड़ा पुरस्कार से नवाजा जाएगा।
राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों में मेघालय के फ्रीडी नांगसिएज, छत्तीसगढ़ के राहुल र्कुे, महाराष्ट्र के रोहित मारुति मुलीक, राजस्थान के श्रवण कुमार, केरल के अनूप एम, मिजोरम की लालमोईजुआली, उत्तरप्रदेश के उत्तम कुमार, मणिपुर के नुरूल हुड्डा, असम की रेखामनी सोनोवल व कल्पना सोनोवाल, पंजाब के गुरजीवन सिंह, सिक्किम के विवेक शर्मा, केरल के राज नारायणन, मेघालय के लवलीस्टार के सोहफोह, छत्तीसगढ़ की पार्वती अमलेश व पश्चिम बंगाल की सुनीता मुरमु शामिल हैं। केरल के बापू गैधानी पुरस्कार अरुणाचल प्रदेश की इपी बसर (16 साल), केरल के विष्णु प्रसाद (16 साल) और मध्यप्रदेश के मुनीस खान (15 साल) को दिया जाएगा। इपी ने दो लोगों को आग से बचाया तो विष्णुदास ने दो बच्चों को डूबने से बचाया जबकि मुनीस खान ने एक वृद्ध व्यक्ति को रेल से कटने से बचाया। जिन दो बच्चों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया जाएगा, वे हैं राजस्थान की चंपा कंवर और उत्तराखंड की श्रुति लोधी।
हर साल गणतंत्र दिवस से पहले एक विशेष समारोह में प्रधानमंत्री बच्चों को वीरता पुरस्कार प्रदान करते हैं और इस साल भी मनमोहन सिंह जी इसे प्रदान करेंगें. पुरस्कार पाने वाले सभी बच्चे गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लेंगे। पुरस्कार के तौर पर सभी बच्चों को पदक, प्रमाणपत्र व नकद राशि मिलेगी।
इन सभी बहादुर बच्चों को बधाई और शुभकामनायें कि वे जीवन में इसी तरह लोगों के प्रेरणा स्रोत बनें और देश का नाम रोशन करें !!
Wednesday, 12 January 2011
हम बच्चे प्यारे हैं - डा0 राष्ट्रबंधु
आकाश हमारा है, हमसे उजियारे हैं
तारों जैसे चमचम, आँखों के तारे हैं
हम बच्चे प्यारे हैं।
सौतेले रिस्तों को ध्रुव ने जितना जाना
प्रहलाद पिता पीड़ित ने भोगा जुरमाना
हम वंचित सारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
लवकुश सीता माँ के, गायक बंजारे हैं
तुलसी के चौरे के, हम दीपक न्यारे हैं
हम भाग्य तुम्हारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
दुनिया छोटी लगती, दुनियादारी ठगती
एकलव्य हमारा है, संतोष सहारा है
कर्तव्य हमारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
अधिकार तुम्हारे हैं, तानों के मारे हैं
बरगद की छाया में, अपनों से हारे हैं
हम स्वयं सहारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
हम अपना श्रम देकर, सभ्यता सँवारे हैं
सबकी नजरों से हम गए उतारे हैं
मुस्कान सँवारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
हम वोट नहीं देते, हम नोट नहीं लेते
बटते कब पक्षों में, यक्षों या कक्षा में
आवरण उघारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
बनकर जुलूस लम्बा, छोटापन धारे हैं
जो जीत चुनाव गए, हम उनके मारे हैं
कब लगे किनारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
-डा० राष्ट्रबंधु
तारों जैसे चमचम, आँखों के तारे हैं
हम बच्चे प्यारे हैं।
सौतेले रिस्तों को ध्रुव ने जितना जाना
प्रहलाद पिता पीड़ित ने भोगा जुरमाना
हम वंचित सारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
लवकुश सीता माँ के, गायक बंजारे हैं
तुलसी के चौरे के, हम दीपक न्यारे हैं
हम भाग्य तुम्हारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
दुनिया छोटी लगती, दुनियादारी ठगती
एकलव्य हमारा है, संतोष सहारा है
कर्तव्य हमारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
अधिकार तुम्हारे हैं, तानों के मारे हैं
बरगद की छाया में, अपनों से हारे हैं
हम स्वयं सहारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
हम अपना श्रम देकर, सभ्यता सँवारे हैं
सबकी नजरों से हम गए उतारे हैं
मुस्कान सँवारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
हम वोट नहीं देते, हम नोट नहीं लेते
बटते कब पक्षों में, यक्षों या कक्षा में
आवरण उघारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
बनकर जुलूस लम्बा, छोटापन धारे हैं
जो जीत चुनाव गए, हम उनके मारे हैं
कब लगे किनारे हैं,
हम बच्चे प्यारे हैं।
-डा० राष्ट्रबंधु
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